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मंगलवार, 13 नवंबर 2018

परमेश्वर के विजय के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

2.परमेश्वर के विजय के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज का विजय कार्य उस सम्पूर्ण साक्ष्य और उस सम्पूर्ण प्रताप को पुनः प्राप्त करने, और सभी मनुष्यों से परमेश्वर की आराधना करवाने के लिए है, जिससे सृष्ट वस्तुओं में साक्ष्य हो। कार्य के इस पड़ाव में यही किए जाने की आवश्यकता है। मनुष्यजाति को किस प्रकार जीता जाए? मनुष्य को सम्पूर्ण रीति से कायल करने के लिए यह वचनों के इस कार्य का प्रयोग कया जायेगा; उसे पूर्णत: अधीन बनाने के लिए, न्याय, ताड़ना, निर्दयी श्राप और प्रकटीकरण का प्रयोग किया जायेगा; और मनुष्य के विद्रोहीपन को ज़ाहिर करने और उसके विरोध का न्याय करने के द्वारा किया जाएगा; जिससे वह मानवता की अधार्मिकता और अशुद्धता को जान सके, जिसका प्रयोग परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव की विशिष्टता दर्शाने के लिए किया जाएगा।

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?




5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए।

रविवार, 30 सितंबर 2018

2. परमेश्वर के द्वारा उपयोग में लाये गए लोगों के कार्य और धार्मिक नेताओं के काम के बीच क्या अंतर है?


संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"तब यहोवा ने कहा, '… परन्तु मेरा दास मूसा ऐसा नहीं है; वह तो मेरे सब घरानों में विश्‍वासयोग्य है'" (गिनती 12:6-7)।
"हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए? तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते। तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है। वे चरवाहे के न होने के कारण तितर-बितर हुईं; और सब वनपशुओं का आहार हो गईं। मेरी भेड़-बकरियाँ तितर-बितर हुई हैं; वे सारे पहाड़ों और ऊँचे ऊँचे टीलों पर भटकती थीं; मेरी भेड़-बकरियाँ सारी पृथ्वी के ऊपर तितर-बितर हुईं; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उनको ढूँढ़ता था" (यहेजकेल 34:2-6)।

शनिवार, 25 अगस्त 2018

सौभाग्य और दुर्भाग्य




सौभाग्य और दुर्भाग्य 

 एक गरीब परिवार में आने की वजह से, बहुत छोटी उम्र से ही डु जुआन एक बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए बहुत सा धन कमाने को दृढ़-संकल्पित थी। अपने इस लक्ष्य को साकार करने के लिए, धन कमाने के लिए वह हाथ से जो कुछ भी काम कर सकती थी वह करने के लिए उसने बहुत जल्‍दी स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ दी।

मंगलवार, 21 अगस्त 2018

"परमेश्वर मूल्यवान मानता है उनको जो उसकी सुनते और उसका आदेश मानते हैं"



Hindi Christian Music 2018 | "परमेश्वर मूल्यवान मानता है उनको जो उसकी सुनते और उसका आदेश मानते हैं"

 परमेश्वर को नहीं फर्क पड़ता हो मनुष्य नम्र या महान। 
 जब तक वह सुनता है परमेश्वर की, 
 मानता है परमेश्वर के आदेश और जो सौंपता है परमेश्वर, 
 जुड़ा रहता है उसके कार्य, उसकी योजना और उसकी इच्छा से,
 जिससे कि उसकी इच्छा और योजना बढ़ सकें बिना अड़चन के, 
 ऐसे कार्य हैं योग्य, योग्य परमेश्वर की स्मृति के, 
 और हैं योग्य प्राप्ति के, प्राप्ति उसके आशीष की। 

रविवार, 19 अगस्त 2018

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है"



अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है" 

    सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर का भय और बुराई से दूर रहना और परमेश्वर को जानना अदृश्य तरीके से एक दूसरे से असंख्य धागों से जुड़ी रहती है और इनके मध्य यह सम्बन्ध स्पष्ट है।

बुधवार, 15 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"
 सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जबकि मनुष्य के सोच विचारों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है, यह मनुष्य के लिए बहुत अधिक असहनीय है कि वह मसीह के सार में परिवर्तन करे। तुम लोग मसीह को अविनाशी, एक संत मानते हो, लेकिन कोई मसीह को दिव्य सार के साथ नश्वर नहीं मानता है। इसलिए, अनेक लोग जो दिन रात परमेश्वर को देखने की लालसा करते हैं वास्तव में परमेश्वर के शत्रु हैं और परमेश्वर के अननुरूप हैं।

गुरुवार, 19 जुलाई 2018

परमेश्वर का प्रेम सर्वाधिक यथार्थ है

परमेश्वर का प्रेम सर्वाधिक यथार्थ है

वेंझोंग बीजिंग शहर

11 अगस्त 2012



21 जुलाई 2012 की रात को हमारे यहाँ एक भयावह बाढ़ आई थी। इस प्रकार की दुर्घटनाएं कभी कभी ही घटित होती है। मैंने इस दुर्घटना के दौरान क्या अनुभव किया और मैंने क्या देखा; उन सभी लोगों को बताना चाहती हूँ जो लोग परमेश्वर के लिए लालायित रहते हैं।

सोमवार, 16 जुलाई 2018

"देखने पर ही विश्वास होता है" पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए

"देखने पर ही विश्वास होता है" पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए

झियाओवेन, झेंगझोउ नगर, हेनन प्रांत


पहले, जब मैं लोगों को किसी बात पर टीका-टिप्पणी करते हुए सुनती थी, तो वे अक्सर यही कहते थे कि "देखने पर ही विश्वास होता है"। जैसे-जैसे समय गुजरता गया, मैंने भी चीजों को देखने के लिए इसी को आधार बना लिया, और परमेश्वर के वचनों के लिए भी यही मेरी धारणा थी। परिणाम यह हुआ कि, परमेश्वर के कई वचन जो परिपूर्ण नहीं हुए थे, मैं उन पर विश्वास करने में असमर्थ हो गई।

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

दुनिया के अंधकार और बुराई के स्रोत के बारे में संक्षिप्त बात

दुनिया के अंधकार और बुराई के स्रोत के बारे में संक्षिप्त बात

यांग ली वुहाई सिटी, इनर मंगोलिया आॅटोनॉमस क्षेत्र



जब मैं स्कूल में ही थी, तब मेरे पिता हो गए और उनका देहांत हो गया। उनकी मौत के बाद, परिवार के दोनों पक्षों के अंकल, मेरे पिता अक्सर ही जिनकी मदद किया करते थे, उन्होंने न केवल हमारा — मेरी मां जिनके पास कमाई का कोई स्रोत नहीं था, मेरी दो बहनें और मैं, ध्यान नहीं दिया, बल्कि इसके विपरीत, हमसे फायदा कमाने के लिए वे जो कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने किया, यहां कि उस थोड़ी सी विरासत के लिए भी हमसे लड़ाई की जो मेरे पिता पीछे छोड़ गए थे। मेरे रिश्तेदारों के मतभेदों और उन्होंने जो कुछ भी किया जिसकी उम्मीद मैं कभी भी नहीं कर सकती थी, उसके समक्ष मैंने बहुत दर्द महसूस किया और मैं इन रिश्तेदारों द्वारा प्रदर्शित विवेक की पूर्ण कमी और निष्ठुरता से नफरत करने लगी थी, साथ ही मुझे मानव प्रकृति की अस्थिरता का भी ज्ञान होने लगा था।

बुधवार, 4 जुलाई 2018

अंततः मैं एक मनुष्य की तरह थोड़ा जीवन व्यतीत करता हूँ

अंततः मैं एक मनुष्य की तरह थोड़ा जीवन व्यतीत करता हूँ

ज़ियांग वांग सिचुआन प्रांत


मैं हर बार अपने हृदय की गहराई से ताड़ना महसूस करता हूँ, जब भी मैं देखता हूँ कि परमेश्वर के वचन कहते हैं कि: "क्रूर, निर्दयी मानवजाति! साँठगाँठ और साज़िश, आपस में धक्का-मुक्की, सम्मान और संपत्ति के लिए छीनाझपटी, एक-दूसरे का कत्ल करना-आखिर ये सब कब समाप्त होगा? परमेश्वर ने लाखों वचन कहे हैं, तब भी किसी को अभी तक अक़्ल नहीं आई है। वे अपने परिवार, और बेटों और बेटियों के वास्ते, आजीविका, हैसियत, अभिमान, और पैसों के लिए, कपड़ों के वास्ते, भोजन और देह क्रिया करते हैं-किसकी क्रियाएँ वास्तव में परमेश्वर के लिए हैं? यहाँ तक कि उनमें से भी जिनकी क्रियाएँ परमेश्वर के वास्ते हैं, मात्र थोड़े ही हैं जो परमेश्वर को जानते हैं।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...