यदि एक व्यक्ति बुराई से दूर रहना चाहता है, तो उस व्यक्ति को परमेश्वर का वास्तविक भय होना आवश्यक है; यदि कोई परमेश्वर का वास्तविक भय प्राप्त करना चाहता है, तो उसे परमेश्वर के वास्तविक ज्ञान की आवश्यकता है; यदि कोई परमेश्वर के ज्ञान को प्राप्त करना चाहता है तो उसे सबसे पहले परमेश्वर के वचन का अनुभव करना होगा, उसके वचन की वास्तविकता को प्राप्त करना होगा, उसे परमेश्वर की ताड़ना और अनुशासन को महसूस करना होगा, उसकी ताड़ना और न्याय को महसूस करना होगा; यदि कोई परमेश्वर के वचन का अनुभव करने की इच्छा रखता है तो उसे परमेश्वर के वचन और परमेश्वर से आमना-सामना करना होगा, और उसे परमेश्वर से याचना करनी होगी कि परमेश्वर उसे उसके वचन को अनुभव करने के लिए सम्भावनाओं को बनाए चाहे वे लोगों, घटनाओं या वस्तुओं के माध्यम से कैसी भी परिस्थितियां हों; यदि कोई परमेश्वर के साथ और उसके वचन के साथ आमना-सामना करना चाहता है तो उसके पास एक साधारण और ईमानदार हृदय होना आवश्यक है, सत्य को ग्रहण करने वाला, कष्टों को सहने वाला, बुराई से दूर रहने के लिए दृढ़ निश्चयी और साहसी और एक सच्चा जीव होने के लिए अभिलाषी होना चाहिए... इस प्रकार से, एक-एक कदम बढ़ाते हुए, तुम परमेश्वर की निकटता में बढ़ते जाओगे, तुम्हारा हृदय और भी अधिक शुद्ध होता जाएगा और तुम्हारा जीवन और जीवित रहने का मूल्य, परमेश्वर के ज्ञान के साथ ही साथ और भी अधिक अर्थपूर्ण और भी अधिक उज्जवल होता जाएगा।"
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रविवार, 19 अगस्त 2018
अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है"
यदि एक व्यक्ति बुराई से दूर रहना चाहता है, तो उस व्यक्ति को परमेश्वर का वास्तविक भय होना आवश्यक है; यदि कोई परमेश्वर का वास्तविक भय प्राप्त करना चाहता है, तो उसे परमेश्वर के वास्तविक ज्ञान की आवश्यकता है; यदि कोई परमेश्वर के ज्ञान को प्राप्त करना चाहता है तो उसे सबसे पहले परमेश्वर के वचन का अनुभव करना होगा, उसके वचन की वास्तविकता को प्राप्त करना होगा, उसे परमेश्वर की ताड़ना और अनुशासन को महसूस करना होगा, उसकी ताड़ना और न्याय को महसूस करना होगा; यदि कोई परमेश्वर के वचन का अनुभव करने की इच्छा रखता है तो उसे परमेश्वर के वचन और परमेश्वर से आमना-सामना करना होगा, और उसे परमेश्वर से याचना करनी होगी कि परमेश्वर उसे उसके वचन को अनुभव करने के लिए सम्भावनाओं को बनाए चाहे वे लोगों, घटनाओं या वस्तुओं के माध्यम से कैसी भी परिस्थितियां हों; यदि कोई परमेश्वर के साथ और उसके वचन के साथ आमना-सामना करना चाहता है तो उसके पास एक साधारण और ईमानदार हृदय होना आवश्यक है, सत्य को ग्रहण करने वाला, कष्टों को सहने वाला, बुराई से दूर रहने के लिए दृढ़ निश्चयी और साहसी और एक सच्चा जीव होने के लिए अभिलाषी होना चाहिए... इस प्रकार से, एक-एक कदम बढ़ाते हुए, तुम परमेश्वर की निकटता में बढ़ते जाओगे, तुम्हारा हृदय और भी अधिक शुद्ध होता जाएगा और तुम्हारा जीवन और जीवित रहने का मूल्य, परमेश्वर के ज्ञान के साथ ही साथ और भी अधिक अर्थपूर्ण और भी अधिक उज्जवल होता जाएगा।"
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