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मंगलवार, 30 जुलाई 2019

परमेश्वर इसहाक के प्रति अर्पण करने के लिए अब्राम को आज्ञा देता है

अब्राहम को एक पुत्र देने के बाद, वे वचन जिन्हें परमेश्वर ने अब्राहम से कहा था वे पूरे हो गए थे। इसका अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर की योजना यहाँ पर रूक जाती है; इसके विपरीत, मानवजाति के प्रबन्धन एवं उद्धार के लिए परमेश्वर की बहुत ही शोभायमान योजना का बस प्रारम्भ ही हुआ था, और अब्राहम के लिए सन्तान की उसकी आशीष उसकी सम्पूर्ण प्रबन्धकीय योजना की मात्र एक प्रस्तावना थी। उस घड़ी, कौन जानता था कि शैतान के साथ परमेश्वर का युद्ध ख़ामोशी से प्रारम्भ हो चुका था जब अब्राहम ने इसहाक का बलिदान किया था।
परमेश्वर परवाह नहीं करता है यदि मनुष्य मूर्ख है—वह केवल यह मांग करता है कि मनुष्य सच्चा हो

आगे, आओ देखें कि परमेश्वर ने अब्राहम के साथ क्या किया था। उत्पत्ति 22:2 में, परमेश्वर ने अब्राहम को निम्नलिखित आज्ञा दी: "अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा।" परमेश्वर का अर्थ बिल्कुल स्पष्ट था: परमेश्वर अब्राहम से अपने एकलौते पुत्र को जिससे वह प्रेम करता था होमबलि के रूप में देने के लिए कह रहा था। आज के परिप्रेक्ष्य में देखें, क्या परमेश्वर की आज्ञा अभी भी मनुष्य की धारणाओं से भिन्न है? हाँ! वह सब जिसे परमेश्वर ने उस समय किया था वह मनुष्य की धारणाओं के बिलकुल विपरीत और मनुष्य की समझ से बाहर था। उनकी धारणाओं में, लोग निम्नलिखित पर विश्वास करते हैं: जब किस मनुष्य ने विश्वास नहीं किया था, और सोचा था कि यह असम्भव है, तब परमेश्वर ने उसे एक पुत्र दिया, और जब उसे पुत्र प्राप्त हो गया उसके बाद, परमेश्वर ने उससे अपने पुत्र को बलिदान करने के लिए कहा—कितना अविश्वसनीय है! परमेश्वर ने वास्तव में क्या करने का इरादा किया था? परमेश्वर का वास्तविक उद्देश्य क्या था? उसने अब्राहम को बिना शर्त एक पुत्र प्रदान किया था, फिर उसने कहा कि अब्राहम बिना किसी शर्त के बलिदान करे। क्या यह बहुत अधिक था? तीसरे समूह के दृष्टिकोण से, यह न केवल बहुत अधिक था बल्कि कुछ कुछ "बिना किसी बात के मुसीबत खड़ा करने" का मामला था। परन्तु अब्राहम ने स्वयं यह नहीं सोचा कि परमेश्वर बहुत ज़्यादा मांग रहा है। हालाँकि उसमें कुछ ग़लतफहमियां थीं, और वह परमेश्वर के विषय में थोड़ा सन्देहास्पद था, फिर भी वह बलिदान करने के लिए अभी भी तैयार था। इस मुकाम पर, तू क्या देखता है जो यह साबित करता है कि अब्राहम अपने पुत्र का बलिदान करने के लिए तैयार था? इन वाक्यों में क्या कहा जा रहा है? मूल पाठ निम्नलिखित लेख प्रदान करता है: "अतः अब्राहम सबेरे तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली; तब निकल कर उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्‍वर ने उससे की थी।" (उत्पत्ति 22:3)। "जब वे उस स्थान को जिसे परमेश्‍वर ने उसको बताया था पहुँचे; तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे।" (उत्पत्ति 22:9-10)। जब अब्राहम ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया, और अपने बेटे को मारने के लिए छुरा लिया, तो क्या उसके कार्यों को परमेश्वर के द्वारा देखा गया था? परमेश्वर के द्वारा उन्हें देखा गया था। सम्पूर्ण प्रक्रिया से—आरम्भ से लेकर, जब परमेश्वर ने कहा कि अब्राहम इसहाक का बलिदान करे, उस समय तक जब अब्राहम ने अपने पुत्र का वध करने के लिए वास्तव में छुरा उठा लिया था—परमेश्वर ने अब्राहम के हृदय को देखा था, और उसकी पहले की मूर्खता, अज्ञानता एवं परमेश्वर को ग़लत समझने के बावजूद भी, उस समय अब्राहम का हृदय परमेश्वर के प्रति सच्चा, और ईमानदार था, और वह सचमुच में इसहाक को परमेश्वर को वापस करने वाला था, जो पुत्र परमेश्वर के द्वारा उसे दिया गया था, वापस परमेश्वर को। परमेश्वर ने उस में आज्ञाकारिता को देखा—वही आज्ञाकारिता जिसकी उसने इच्छा की थी।
मनुष्य के लिए, परमेश्वर बहुत कुछ करता है जो समझ से बाहर है और यहाँ तक कि अविश्वसनीय भी है। जब परमेश्वर किसी को आयोजित करने की इच्छा करता है, तो ये आयोजन प्रायः मनुष्य की धारणाओं से भिन्न होते हैं, और उसकी समझ से परे होते हैं, फिर भी बिलकुल यही असहमति एवं अबोधगम्यता ही है जो परमेश्वर का परिक्षण एवं मनुष्य की परीक्षाएं हैं। इसी बीच, अब्राहम अपने आप में ही परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता को प्रदर्शित करने के योग्य हो गया, जो परमेश्वर की अपेक्षाओं को संतुष्ट करने के योग्य होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शर्त थी। जब अब्राहम परमेश्वर की मांग को मानने के योग्य हुआ, जब उसने इसहाक का बलिदान किया, केवल तभी परमेश्वर को सचमुच में मानवजाति के प्रति—अब्राहम के प्रति—पुनःआश्वासन एवं स्वीकृति का एहसास हुआ, जिसे उसने चुना था। केवल तभी परमेश्वर को निश्चय हुआ कि यह व्यक्ति जिसे उसने चुना था वह एक अत्यंत महत्वपूर्ण अगुवा था जो उसकी प्रतिज्ञा एवं आगामी प्रबंधकीय योजना को आरम्भ कर सकता था। हालाँकि यह सिर्फ एक परीक्षण एवं परीक्षा थी, परमेश्वर को प्रसन्नता का एहसास हुआ, उसने अपने लिए मनुष्य के प्रेम को महसूस किया, और उसे मनुष्य के द्वारा ऐसा सुकून मिला जैसा उसे पहले कभी नहीं मिला था। जिस घड़ी अब्राहम ने इसहाक को मारने के लिए अपना छूरा उठाया था, क्या परमेश्वर ने उसे रोका? परमेश्वर ने अब्राहम को इसहाक का बलिदान करने नहीं दिया, क्योंकि परमेश्वर की इसहाक का जीवन लेने की कोई मनसा नहीं थी। इस प्रकार, परमेश्वर ने अब्राहम को बिलकुल सही समय पर रोक दिया था। परमेश्वर के लिए, अब्राहम की आज्ञाकारिता ने पहले ही उस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया था, जो कुछ उसने किया वह पर्याप्त था, और परमेश्वर ने उस परिणाम को पहले ही देख लिया था जिसका उसने इरादा किया था। क्या यह परिणाम परमेश्वर के लिए संतोषजनक था? ऐसा कहा जा सकता है कि यह परिणाम परमेश्वर के लिए संतोषजनक था, कि यह वह परिणाम था जो परमेश्वर चाहता था, और जिसे परमेश्वर ने देखने की लालसा की थी। क्या यह सही है? हालाँकि, अलग-अलग संदर्भों में, परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति को परखने के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों का उपयोग करता है, अब्राहम में परमेश्वर ने वह देखा जो वह चाहता था, उसने देखा कि अब्राहम का हृदय सच्चा था, और यह कि उसकी आज्ञाकारिता बिना किसी शर्त के थी, और यह बिलकुल वही "बिना किसी शर्त" की आज्ञाकारिता थी जिसकी परमेश्वर ने इच्छा की थी। …
                                                                      "वचन देह में प्रकट होता है" से
और पढ़ें:परमेश्वर के वचनो ने उन सत्यो को उजागर किया हैं जिसे हमें समझने की आवशकता हैं, और अधिक वीडियो देखने के लिए हमारे आधिकारिक वेबसाइट पर आपका स्वागत है।

बुधवार, 12 जून 2019

परमेश्वर में आस्था की सर्वोच्च प्राथमिकता

  • I
  • परमेश्वर जो करता है उसे समझने का प्रयास करो,
  • परमेश्वर के पक्ष में खड़े रहकर,
  • उसके वचनों के ज़रिये चीज़ों को देखो।
  • इस तरह नज़रिया तुम्हारा सही होगा।
  • इस तरह नज़रिया तुम्हारा सही होगा।
  • II
  • जो कुछ भी तुम करते हो उसे,
  • परमेश्वर के संग अपने सामान्य रिश्ते से तौलो।
  • गर परमेश्वर के संग रिश्ते सामान्य हैं तुम्हारे,
  • इरादे सही हैं तुम्हारे तो उस काम को करो।
  • परमेश्वर के संग रिश्ते सामान्य बनाए रखने के लिये,
  • तुम डर नहीं सकते इस बात से, कहीं नुकसान न हो।
  • परमेश्वर के संग कायम करना अच्छे रिश्ते,
  • होनी चाहिये सर्वोच्च प्राथमिकता उसकी
  • जिसे विश्वास है परमेश्वर में।
  • यही सबसे अहम काम होना चाहिये सबके लिये,
  • सबसे अहम काम होना चाहिये ज़िंदगी में सबके लिये।
  • III
  • तुम शैतान को इजाज़त दे नहीं सकते, वो हावी हो तुम पर,
  • काबू करे तुम्हें, हँसी का पात्र बनाए तुम्हें।
  • ऐसा इरादा निशानी है कि
  • परमेश्वर के संग रिश्ते सामान्य हैं तुम्हारे।
  • देह के लिये नहीं, है ये आत्मा की शांति के लिये।
  • परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने की ख़ातिर,
  • है ये पवित्र आत्मा के कार्य को पाने के लिये।
  • IV
  • सही स्थिति में प्रवेश के लिए,
  • परमेश्वर के संग रिश्ता तुम्हें मज़बूत बनाना होगा।
  • परमेश्वर में विश्वास का नज़रिया अपना दुरुस्त करना होगा।
  • ये परमेश्वर को अनुमति देना है वो प्राप्त करे तुम्हें,
  • अपने वचनों के फल प्रकट करे तुम में।
  • परमेश्वर को अनुमति देना कि वो और अधिक प्रबुद्ध करे तुम्हें।
  • इस तरह सही रीति में प्रवेश करोगे तुम।
  • V
  • खाते-पीते रहो परमेश्वर के मौजूदा वचनों को।
  • पवित्र आत्मा के काम के वर्तमान मार्ग में प्रवेश करो।
  • पुरानी प्रथाओं और तौर-तरीकों पर चलने के बजाय,
  • परमेश्वर की आज की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करो।
  • इस तरह, परमेश्वर के संग होंगे रिश्ते सामान्य तुम्हारे।
  • और परमेश्वर में विश्वास के सही मार्ग पर होगे तुम।
  • परमेश्वर के संग कायम करना अच्छे रिश्ते,
  • होनी चाहिये सर्वोच्च प्राथमिकता उसकी
  • जिसे विश्वास है परमेश्वर में।
  • यही सबसे अहम काम होना चाहिये सबके लिये,
  • सबसे अहम काम होना चाहिये ज़िंदगी में सबके लिये।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से
      चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

शनिवार, 8 जून 2019

Hindi Christian Video "विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" क्लिप 6


Hindi Christian Video "विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" क्लिप 6 - सीसीपी की धार्मिक नीति के सत्य को उजागर करना इसकी रचना का मुखौटा है


चीनी कम्यूनिस्ट सरकार के संविधान में धर्म और आराधना की स्वतंत्रता स्पष्ट रूप से प्रदान की गई है, फिर भी कपटता और निरंकुशता से धर्म और आराधना का दमन और उस पर प्रहार किया जाता है। मसीह के अनुयायियों को देश के बड़े अपराधी समझा जाता है और उनका दमन, गिरफ्तारी करने, उन्हें यातना देने और यहाँ तक कि उनकी हत्या करने के लिए भी क्रांतिकारी तरीकों को अपनाया जाता है। चीनी कम्यूनिस्ट सरकार जनता को धोखा देकर प्रसिद्धि पाने के लिए संविधान का उपयोग करती है फिर भी परदे के पीछे अंततः कौन से राज़ आम जनता से छुपाए जाते हैं? चीनी कम्यूनिस्ट सरकार मसीह के अनुयायियों से दुश्मनों की तरह व्यवहार करने पर जोर क्यों देती है, वे मसीह के अनुयायियों के कट्टर विरोधी क्यों है?
      चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

सोमवार, 3 जून 2019

परमेश्वर में आस्था की राह, है राह उससे प्यार करने की



  • परमेश्वर में आस्था की राह
  • है राह उससे प्यार करने की।
  • यदि तुम ईश्वर में आस्था रखते हो,
  • तुम्हें उसके प्रति प्रेम रखना चाहिए।
  • I
  • ईश्वर से प्रेम का अर्थ नहीं है
  • केवल उसके प्रेम को चुकाना,
  • ना ही है करना प्रेम विवेक द्वारा उससे,
  • बल्कि ईश्वर के प्रति है रखना शुद्ध प्रेम।
  • विवेक नहीं जगायेगा ईश्वर के लिए प्रेम।
  • जब तुम महसूस करो उसकी सुंदरता,
  • तुम्हारी रूह को छूएगा परमेश्वर,
  • तुम्हारा विवेक अपना कार्य करेगा।
  • ईश्वर के लिए सच्चा प्यार
  • आता है दिल की गहराई से।
  • ये वो प्यार है जिसका आधार
  • मानव का ईश्वर का सच्चा ज्ञान है।
  • II
  • जब ईश्वर प्रेरित करे मानव के रूह को,
  • जब उनके दिलों में ज्ञान की प्राप्ति हो,
  • तब ईश्वर को वे विवेक से प्यार कर सकते हैं
  • अनुभव की प्राप्ति के बाद।
  • अपने विवेक से ईश्वर से प्रेम करना
  • ग़लत नहीं है, पर है कम प्यार,
  • ये करता है ईश्वर के अनुग्रह के साथ इन्साफ़,
  • पर मानव के प्रवेश को प्रेरित नहीं करता।
  • ईश्वर के लिए सच्चा प्यार
  • आता है दिल की गहराई से।
  • ये वो प्यार है जिसका आधार
  • मानव का ईश्वर का सच्चा ज्ञान है।
  • III
  • जब लोगों को प्राप्त हो पवित्रात्मा का कार्य,
  • जब वे देखें और चखें ईश्वर का प्यार,
  • जब पास हो उनके परमेश्वर का ज्ञान,
  • तब उससे सच में प्यार किया जा सकता है।
  • जब वे देखें कि परमेश्वर है योग्य,
  • मानव के प्यार के इतने क़ाबिल,
  • वो कितना प्यारा है ये देखकर,
  • वे ईश्वर से सच में प्यार कर सकते हैं।
  • ईश्वर के लिए सच्चा प्यार
  • आता है दिल की गहराई से।
  • ये वो प्यार है जिसका आधार
  • मानव का ईश्वर का सच्चा ज्ञान है।
  • IV
  • जो परमेश्वर को समझते नहीं,
  • वे सिर्फ़ ईश्वर को अपनी धारणा और
  • पसंद के आधार पर प्रेम करते हैं;
  • वो प्यार दिल से नहीं, वो झूठा है।
  • परमेश्वर को जो समझ जाए एक दफ़ा,
  • दर्शाता है कि उसका दिल है ईश्वर की ओर।
  • उसके दिल में जो प्यार है,
  • वो सच्चा, स्वाभाविक है।
  • केवल ऐसा ही व्यक्ति है
  • जिसके दिल में परमेश्वर है।
  • ईश्वर के लिए सच्चा प्यार
  • आता है दिल की गहराई से।
  • ये वो प्यार है जिसका आधार
  • मानव का ईश्वर का सच्चा ज्ञान है।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से

  • रोत:परमेश्वर के वचन के भजन
      चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

बुधवार, 29 मई 2019

Hindi Christian Video "विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" क्लिप 1

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की रणनीति

ईसाईयों को विवश करने की कड़ी में कलीसिया को बेचना, परमेश्वर को धोखा और परमेश्वर द्वारा बचाए जाने की सम्भावनाओं को नष्ट करना शामिल है, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी बेईमानी से ईसाईयों के परिवारों को धमकाती है और ईसाईयों को परमेश्वर को धोखा देने के लिए विवश करने के लिए पारिवारिक भावनाओं का उपयोग करती हैI क्या चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की योजनाओं की जीत हो सकती है? अच्छाई और बुराई के बीच इस लड़ाई में, क्या ईसाई शैतान के प्रलोभनों पर काबू पाकर परमेश्वर पर विश्वास रख पायेंगे और दृढ़ता से खड़े रहकर और परमेश्वर के लिए गवाही वहन कर पायेंगे?



      चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

शुक्रवार, 24 मई 2019

परमेश्वर उन्हीं को पूर्ण बनाता है जो प्रेम करते हैं उसे



  • I
  • गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,
  • तो अच्छी हो या बुरी, हर चीज़ का अब अनुभव लेना सीखो।
  • जिन चीज़ों का भी सामना करो, उनमें प्रबुद्ध होना सीखो।
  • लाभ होना चाहिये इससे तुम्हें।
  • गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,
  • तो देखना ये कभी निष्क्रिय न बना दे तुम्हें।
  • परमेश्वर की तरफ़ खड़े हो जाओ, और इस पर विचार करो।
  • इसे इंसानी नज़रिये से न देखो।
  • II
  • गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,
  • तो अनुभव के इस तरीके को आज़माकर देखो,
  • हो जाएगा दिल बोझिल तुम्हारा जीवन के लिये,
  • रहोगे तुम सदा उसकी मौजूदगी की रोशनी में,
  • भटकोगे नहीं आसानी से तुम कभी अपने अभ्यास में।
  • खुल जाएँगी विशाल संभावनाएँ तुम लोगों के लिये।
  • III
  • तुम लोगों को परमेश्वर से अगर सच्चा प्रेम है,
  • तो उसके द्वारा तुम्हें पूर्ण किये जाने के बहुत से अवसर हैं।
  • गर परमेश्वर द्वारा प्राप्त और पूर्ण किये जाने के,
  • उसकी आशीष और विरासत को पाने के,
  • तुम्हारे इरादे अटल हैं तो
  • परमेश्वर द्वारा पूर्ण किये जाने की अनेक संभावनाएँ हैं।
  • IV
  • गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,
  • तो केवल संकल्प होना कभी काफ़ी नहीं है।
  • अभ्यास में गलतियों से बचने के लिये,
  • ज्ञान भी होना चाहिये तुम्हें।
  • ज़्यादातर लोगों ने महज़ परमेश्वर के अनुग्रह के
  • आनंद तक ही सीमित कर लिया है ख़ुद को।
  • वो लोग ऊँचे प्रकटन नहीं,
  • सिर्फ़ थोड़े-से दैहिक सुख ही
  • पाना चाहते हैं परमेश्वर से।
  • V
  • ये दिखाता है दिल अभी उनका बाहर ही है।
  • पूर्ण किये जाने की उन्हें परवाह नहीं है।
  • जीवन उनका पतनशील और अशिष्ट है।
  • वो एकदम थोड़े में गुज़ारा करते हैं,
  • भटकते हैं, बेमकसद अस्तित्व लेकर,
  • उन्हें जीवन में ज़रा-सा भी बदलाव हासिल नहीं है।
  • VI
  • कुछ ही हैं जो अधिक समृद्धदायक चीज़ों को पाने के लिये,
  • उसके घर में अधिक ऊँचा वैभव पाने वाला बनने
  • और उसका अधिक आशीष पाने के लिये,
  • जिन चीज़ों का वे सामना करते हैं उनमें,
  • परमेश्वर के वचन में प्रवेश की खोज करते हैं।
  • हर चीज़ में पूर्ण और प्रबुद्ध होने की खोज करते हो अगर,
  • तो तुम लायक और पात्र हो परमेश्वर द्वारा पूर्ण किये जाने के लिये।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से

      चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

रविवार, 19 मई 2019

वह संकल्प जो मोआब की संतानों के पास होना चाहिए



  • I
  • मोआब की संतानों से नहीं कोई
  • अधिक पिछड़ा और भ्रष्ट।
  • वो परमेश्वर को स्वीकारते नहीं।
  • इसलिए केवल जब इन पर पाई जा सके विजय,
  • केवल जब ये कर सकें प्रेम परमेश्वर को,
  • केवल जब वो कर सकें उसकी स्तुति,
  • तभी होगी वो गवाही विजय की, विजय की।
  • अंत में तू कहेगा, "हम हैं शापित,
  • हम हैं संतान मोअब की।
  • इसे तो हम बदल, बदल सकते नहीं,
  • क्योंकि ये थी आज्ञा परमेश्वर की, परमेश्वर की।
  • लेकिन हमारा जीना और ज्ञान बदल सकता है,
  • परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित,
  • परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित।"
  • II
  • ये सच है कि तुम लोग पतरस नहीं,
  • लेकिन जी सकते हो तुम पतरस की छवि,
  • अय्यूब और पतरस के समान दे सकते हो गवाही।
  • यही है सबसे बड़ी गवाही।
  • अंत में तू कहेगा, "हम तो इस्राएली नहीं।
  • हम हैं त्यागी गईं संतानें मोअब की।
  • हम परमेश्वर के आशीषों के योग्य नहीं।"
  • अंत में तू कहेगा, "हम हैं शापित,
  • हम हैं संतान मोअब की।
  • इसे तो हम बदल सकते नहीं,
  • क्योंकि ये थी आज्ञा परमेश्वर की, परमेश्वर की।
  • लेकिन हमारा जीना और ज्ञान बदल सकता है,
  • परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित,
  • परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित।"
  • III
  • "हम पतरस नहीं, हममें उसकी योग्यता नहीं।
  • हम अय्यूब नहीं, हममें पौलुस का संकल्प नहीं।
  • परमेश्वर को जितना समर्पण किया पौलुस ने,
  • पौलुस ने उतना हम कर सकते नहीं, कर सकते नहीं।
  • लेकिन फिर भी आज हमें उठाया है परमेश्वर ने, परमेश्वर ने।
  • तो हमें संतुष्ट करना है परमेश्वर को, परमेश्वर को, और हैं हम तैयार भी।
  • हम योग्य नहीं, लेकिन संकल्पित हैं हम फिर भी,
  • और हैं हम तैयार, और हैं हम तैयार।"
  • अंत में तू कहेगा, "हम हैं शापित,
  • हम हैं संतान मोअब की।
  • इसे तो हम बदल, बदल सकते नहीं,
  • क्योंकि ये थी आज्ञा परमेश्वर की, परमेश्वर की।
  • लेकिन हमारा जीना और ज्ञान बदल सकता है,
  • परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित,
  • परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए हम हैं संकल्पित।"
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से

       चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

शुक्रवार, 10 मई 2019

पतरस के अनुभव का अनुकरण करो




I
बड़ा शोधन पाया पतरस ने
उसने जो किया उसके कारण।
एहसास था उसे कि वो है परमेश्वर का ऋणी,
इस ऋण को कभी वो भर न पायेगा।
उसने देखा मानवजाति भ्रष्ट है, इस कारण
अपराध-बोध से भरी थी उसकी अंतरात्मा।

यीशु ने उससे कही कई बातें,
पर समझ सका वो थोड़ा ही।
किया विरोध और विद्रोह भी उसने।
यीशु के सूली पर चढ़ाये जाने के बाद,
अंतरात्मा पतरस की जगी ग्लानि से।
अबसे कोई गलत विचार न आने देगा वो मन में।

परमेश्वर के कार्य से होकर गुज़रा जब,
पाया उसने विवेक और अंतर्दृष्टि,
सेवा के सिद्धांतों को समझा वो,
यीशु ने सौंपा था जो हो सका उसको समर्पित।
II
पतरस जानता था अपनी अवस्था,
अवगत था वो अच्छी तरह
प्रभु की पवित्रता से,
पतरस के सारे ज्ञान से,
प्रभु के लिए उसका प्रेम बढ़ा,
और उसने अपने जीवन पर अधिक ध्यान दिया।
इस कारण मुश्किलें झेलीं उसने।
कभी लगा जैसे हो गया रोगी इतना,
कि मौत लगी दरवाज़े पर दस्तक देने।
अनेक बार शोधन किये जाने से,
जानता था वो खुद को अच्छे से,
प्रभु के लिए सच्चे प्रेम को उसने बढ़ाया ऐसे।

जीवन उसका गुज़रा शोधन से,
और बीत गया ताड़ना में।
उसका अनुभव था बिल्कुल जुदा,
जो पूर्ण नहीं किये गये उनसे, उसका प्रेम था कहीं बड़ा।
III
आदर्श था वो, क्योंकि सहा उसने सभी से ज़्यादा,
उसने किये जो अनुभव, थे वे सबसे सफल।
तो चलोगे जो तुम सब पथ पर इस तरह,
तो कोई भी न ले पायेगा आशीषें तुम्हारी,
कोई भी न ले पायेगा आशीषें तुम्हारी, कोई भी न ले पायेगा आशीषें तुम्हारी,
कोई भी न ले पायेगा, कोई भी न ले पायेगा।

"वचन देह में प्रकट होता है" से

स्रोत:परमेश्वर के वचन के भजन

​ चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

परमेश्वर की सेवा करते समय नई चालाकियाँ मत ढूँढो

10. परमेश्वर की सेवा करते समय नई चालाकियाँ मत ढूँढो

हेयी झुआंघे सिटी, लिआओनिंग प्रांत
मुझे अभी-अभी कलीसिया के अगुआ का उत्तरदायित्व लेने के लिए पदोन्नत किया गया था। लेकिन कुछ अवधि तक की कठिन मेहनत के बाद, न केवल कलीसिया का इंजील का कार्य फीका पड़ गया था, बल्कि इंजील दल में मौजूद मेरे सभी भाई-बहन भी नकारात्मकता और कमज़ोरी में जी रहे थे। इस परिस्थिति का सामना करके, मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं रख सकी। मैं पृथ्वी पर इंजील के कार्य में नए प्राण भरने के लिए कैसे कार्य कर सकती थी? अपने दिमाग पर जोर डालने के बाद, अंतत: मेरे विचार में एक अच्छा समाधान आया: यदि मैं इंजील दल और चयनित उत्कृष्ट व्यक्तियों और आदर्श उपदेशकों के लिए मासिक पुरस्कार समारोह का आयोजन करूँ, जो भी परमेश्वर के लिए ज्यादा आत्माएँ जीतता है उसे पुरस्कृत किया जाए, और जो भी कम आत्माएँ जीतता है उसे चेतावनी दी जाए।

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

वह सच्चा परमेश्वर जिसने आकाश, पृथ्वी और सब कुछ बनाया है, एक है या तीन है?

1. वह सच्चा परमेश्वर जिसने आकाश, पृथ्वी और सब कुछ बनाया है, एक है या तीन है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"फिलिप्पुस ने उससे कहा, 'हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।' यीशु ने उससे कहा, 'हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है'" (युहन्ना 14:8-10)।
"मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)।

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

बाहरी अच्छे कर्मों और स्वभाव में परिवर्तनों के बीच अंतर

अध्याय 6 विभेदन के कई रूप जिन्हें परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास में तुम्हें धारण करना चाहिए

7. बाहरी अच्छे कर्मों और स्वभाव में परिवर्तनों के बीच अंतर
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
धर्म के दायरे में, बहुत से लोग सारा जीवन निरर्थकता से कष्ट भोगते हैं, अपने शरीर को नियंत्रित करते हुए या अपना बोझ उठाते हुए, यहाँ तक कि अपनी अंतिम सांस तक पीड़ा सहते हुए! कुछ लोग अपनी मृत्यु की सुबह में भी उपवास रखते हैं। वे अपने पूर्ण जीवन के दौरान स्वयं को अच्छे भोजन और अच्छे कपड़े से दूर रखते हैं, और केवल पीड़ा पर ज़ोर देते हैं। वे अपने शरीर को वश में कर पाते हैं और अपने शरीर को त्याग पाते हैं। पीड़ा सहन करने की उनकी भावना सराहनीय है। लेकिन उनकी सोच, उनकी धारणाएं, उनका मानसिक रवैया, और वास्तव में उनका पुराना स्वभाव—इनमें से किसी के साथ बिल्कुल भी निपटा नहीं गया है। उनकी स्वयं के बारे में कोई सच्ची समझ नहीं है। परमेश्वर के बारे में उनकी मानसिक छवि एक निराकार, अज्ञात परमेश्वर की पारंपरिक छवि है।

शनिवार, 17 नवंबर 2018

देहधारण क्या है? देहधारण का सार क्या है?

अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

1.देहधारण क्या है? देहधारण का सार क्या है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
पहला देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर साढ़े तैंतीस साल रहा, फिर भी उसने अपनी सेवकाई को उन सालों में से केवल साढ़े तीन साल तक ही किया। अपना कार्य करने के दौरान और अपना कार्य आरम्भ करने से पहले, इन दोनों समयों में, वह अपनी सामान्य मानवता को धारण किए हुए था। वह अपनी साधारण मानवता में साढ़े तैंतीस साल तक रहा। पूरे साढ़े तीन साल तक उसने अपने आप को देहधारी परमेश्वर के रूप में प्रकट किया। अपनी सेवकाई का कार्य प्रारम्भ करने से पहले, अपनी दिव्यता का कोई भी चिन्ह प्रकट नहीं करते हुए, वह अपनी साधारण और सामान्य मानवता के साथ प्रकट हुआ, और यह केवल उसकी सेवकाई को औपचारिक तौर पर प्रारम्भ करने के बाद ही हुआ कि उसकी दिव्यता प्रदर्शित की गई थी।

मंगलवार, 13 नवंबर 2018

परमेश्वर के विजय के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

2.परमेश्वर के विजय के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज का विजय कार्य उस सम्पूर्ण साक्ष्य और उस सम्पूर्ण प्रताप को पुनः प्राप्त करने, और सभी मनुष्यों से परमेश्वर की आराधना करवाने के लिए है, जिससे सृष्ट वस्तुओं में साक्ष्य हो। कार्य के इस पड़ाव में यही किए जाने की आवश्यकता है। मनुष्यजाति को किस प्रकार जीता जाए? मनुष्य को सम्पूर्ण रीति से कायल करने के लिए यह वचनों के इस कार्य का प्रयोग कया जायेगा; उसे पूर्णत: अधीन बनाने के लिए, न्याय, ताड़ना, निर्दयी श्राप और प्रकटीकरण का प्रयोग किया जायेगा; और मनुष्य के विद्रोहीपन को ज़ाहिर करने और उसके विरोध का न्याय करने के द्वारा किया जाएगा; जिससे वह मानवता की अधार्मिकता और अशुद्धता को जान सके, जिसका प्रयोग परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव की विशिष्टता दर्शाने के लिए किया जाएगा।

शनिवार, 18 अगस्त 2018

ओहदा खोने के बाद ...

ओहदा खोने के बाद ...

हुईमीन जियाओजूओ शहर, हेनान प्रदेश


हर बार जब मैं किसी को बदले जाने और इस कारण उनके दुखी, कमजोर या रुष्ट होने और उनके अनुसरण न करने की घटना को देखती थी या इस बारे मेँ सुनती थी तो ऐसे लोगों के प्रति मेरे मन मेँ निरादर का भाव आ जाता था। मैं सोचती थी कि यह सब इससे अधिक कुछ नहीं है कि कलीसिया के अंतर्गत अलग-अलग लोगों के अलग-अलग कार्य कलाप हैं, यहाँ उच्च और निम्न मेँ कोई भेद नहीं है और हम सब परमेश्वर की संतति हैं तथा ऐसा कुछ भी नहीं है जिसको हम तुच्छ समझें। अत: मैं सोचती थी कि चाहें हम नए विश्वासियों की देख-रेख कर रहे हैं या किसी जनपद का नेतृत्व हमारे हाथ मेँ है; मैने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरा पूरा ध्यान ओहदे पर ही केंर्दित था, क्या मै इस तरह की सोच वाली व्यक्ति थी। मैं असंख्य वर्षों तक यह मानने के लिए सहमत नहीं होती कि अपनी बदली होने पर मैं ऐसा कोई शर्मनाक व्यवहार करूंगी...।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...