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बुधवार, 14 नवंबर 2018

परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

3.परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंत के दिनों का कार्य, सभी को उनके स्वभाव के आधार पर अलग करना, परमेश्वर की प्रबंधन योजना का समापन करना है, क्योंकि समय निकट है और परमेश्वर का दिन आ पहुँचा है। जिन्होंने उसके राज्य में प्रवेश कर लिया है अर्थात्, वे सभी लोग जो अंत तक उसके वफादार रहे हैं, परमेश्वर उन सभी को स्वयं परमेश्वर के युग में ले जाता है। हालाँकि स्वयं परमेश्वर के युग के आने से पहले परमेश्वर जो कार्य करने की इच्छा रखता है वह मनुष्य के कर्मों को देखना या मनुष्य जीवनों के बारे में पूछताछ करना नहीं है, बल्कि उनके विद्रोह का न्याय करना है, क्योंकि परमेश्वर अपने सिंहासन के सामने आने वाले सभी लोगों को शुद्ध करेगा।

शनिवार, 3 नवंबर 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही पुनः वापस आया यीशु है।

अध्याय 1 तुम्हें अवश्य जानना चाहिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही एक सच्चा परमेश्वर है जिसने आकाश और पृथ्वी और वह सब कुछ बनाया है जो कुछ उन में है।

2. सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही पुनः वापस आया यीशु है।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर चीन की मुख्य भूमि में देहधारण किया है, जिसे हांगकांग और ताइवान में हमवतन के लोग अंतर्देशीय कहते हैं। जब परमेश्वर ऊपर से पृथ्वी पर आया, तो स्वर्ग और पृथ्वी में कोई भी इसके बारे में नहीं जानता था, क्योंकि यही परमेश्वर का एक गुप्त अवस्था में लौटने का वास्तविक अर्थ है। वह लंबे समय तक देह में कार्य करता और रहता रहा है, फिर भी इसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। आज के दिन तक भी, कोई इसे पहचानता नहीं है।

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

4. क्या धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग सभी वास्तव में परमेश्वर द्वारा प्रतिष्ठित हैं? क्या धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों के प्रति स्वीकृति और आज्ञाकारिता परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता और उसके अनुसरण को दर्शा सकती हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"इसलिये अब सुन, इस्राएलियों की चिल्‍लाहट मुझे सुनाई पड़ी है, और मिस्रियों का उन पर अन्धेर करना भी मुझे दिखाई पड़ा है। इसलिये आ, मैं तुझे फ़िरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए" (निर्गमन 3:9-10)।
"भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, 'हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है?' ... उसने उससे कहा, 'मेरे मेमनों को चरा।' उसने फिर दूसरी बार उससे कहा, 'हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है?' ... उसने उससे कहा, 'मेरी भेड़ों की रखवाली कर' (युहन्ना 21:15-16)।

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

2. अंतिम दिनों में चीन में कार्य करने के लिए परमेश्वर के देह-धारण का उद्देश्य और महत्व क्या है?


2. अंतिम दिनों में चीन में कार्य करने के लिए परमेश्वर के देह-धारण का उद्देश्य और महत्व क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

परमेश्वर के कार्य का प्रत्येक चरण सारी मानवजाति के वास्ते है, और समूची मानवजाति की ओर निर्देशित है। यद्यपि यह देह में उसका कार्य है, फिर भी इसे अब भी सारी मानवजाति की ओर निर्देशित किया गया है; वह सारी मानवजाति का परमेश्वर है, वह सभी सृजे गए और न सृजे गए प्राणियों का परमेश्वर है।

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

3. व्यवस्था के युग में नबियों के द्वारा दिए गए परमेश्वर के वचनों और देहधारी परमेश्वर द्वारा व्यक्त परमेश्वर के वचनों में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

अनुग्रह के युग में, यीशु ने भी काफ़ी बातचीत की और काफ़ी कार्य किया। वह यशायाह से किस प्रकार भिन्न था? वह दानिय्येल से किस प्रकार भिन्न था? क्या वह कोई भविष्यद्वक्ता था? ऐसा क्यों कहा जाता है कि वह मसीह है? उनके मध्य क्या भिन्नताएँ हैं? वे सभी मनुष्य थे जिन्होंने वचन बोले थे, और मनुष्य को उनके वचन लगभग एक से प्रतीत होते थे। उन सभी ने बातें की और कार्य किए। पुराने विधान के भविष्यवद्क्ताओं ने भविष्यवाणियाँ की, और उसी तरह से, यीशु भी वैसा ही कर सका। ऐसा क्यों है? यहाँ कार्य की प्रकृति के आधार पर भिन्नता है।

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

6. बाइबल के साथ वास्तव में कैसे पेश आना चाहिए और उसका उपयोग किस तरह से करना चाहिए कि वह परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप हो? बाइबल का मूलभूत मूल्य क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

आज, मैं इस रीति से बाइबल की चीरफाड़ कर रहा हूँ और इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं इस से नफरत करता हूँ, या सन्दर्भ के लिए इसके मूल्य को नकारता हूँ। अंधकार में रखे जाने से तुम्हें रोकने के लिए मैं तुम्हारे लिए बाइबल के अंतर्निहित मूल्यों और इसकी उत्पत्ति की व्याख्या कर रहा हूँ। क्योंकि बाइबल के बारे में लोगों के अनेक दृष्टिकोण हैं, और उनमें से अधिकांश ग़लत हैं; इस तरह से बाइबल पढ़ना न केवल उन्हें उन चीज़ों को प्राप्त करने से रोकता है जो उन्हें प्राप्त करनी चाहिए, बल्कि, अधिक महत्वपूर्ण यह है, कि यह उस कार्य में भी बाधा डालता है जिसे करने का मैं इरादा करता हूँ। यह भविष्य के कार्य के लिए एक बहुत ही जबर्दस्त उपद्रव है, और केवल कमियाँ प्रदान करता है, लाभ नहीं।

रविवार, 14 अक्टूबर 2018

4. बाइबल में अनन्त जीवन का कोई मार्ग नहीं है; यदि मनुष्य बाइबल को थामे रहता है और उसकी आराधना करता है, तो वह अनन्त जीवन को प्राप्त नहीं करेगा।

4. बाइबल में अनन्त जीवन का कोई मार्ग नहीं है; यदि मनुष्य बाइबल को थामे रहता है और उसकी आराधना करता है, तो वह अनन्त जीवन को प्राप्त नहीं करेगा।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, या ढूँढ़ो क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते" (युहन्ना 5:39-40)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (युहन्ना 14:6)।

शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

2. धार्मिक दुनिया का मानना है कि सभी शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गए हैं और ये सब परमेश्वर के ही वचन हैं; इस कथन के प्रति हर किसी को क्या विवेक रखना चाहिए?


2. धार्मिक दुनिया का मानना है कि सभी शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गए हैं और ये सब परमेश्वर के ही वचन हैं; इस कथन के प्रति हर किसी को क्या विवेक रखना चाहिए?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का लिखित दस्तावेज़ नहीं है। बाइबल सामान्यतः परमेश्वर के कार्य की पिछली दो अवस्थाओं का आलेख करती है, उसमें से एक भाग है जो पैग़म्बरों की भविष्यवाणियों का लिखित दस्तावेज़ है, और एक भाग वह अनुभव और ज्ञान है जिन्हें युगों के दौरान उन लोगों के द्वारा लिखा गया था जिन्हें परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल किया गया था।

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

5. परमेश्वर कैसे पूरे ब्रह्मांड पर प्रभुत्व रखता है और प्रशासन करता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

इस विशाल ब्रह्मांड में ऐसे कितने प्राणी हैं जो सृष्टि के नियम का बार-बार पालन करते हुए, एक ही निरंतर नियम पर चल रहे हैं और प्रजनन कार्य में लगे हैं। जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं?

सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

3. परमेश्वर की सर्वशक्तिमानता और ज्ञान मुख्यतः किन पहलुओं में प्रकट हैं?


परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

परमेश्वर के वचन अधिकार हैं, परमेश्वर के वचन प्रमाणित सत्य हैं, और उसके मुँह से वचन के निकलने से पहले ही, दूसरे शब्दों में, जब परमेश्वर कुछ करने का निर्णय लेता है, तब ही उस चीज़ को पहले से ही पूरा करा जा चुका होता है।
"वचन देह में प्रकट होता है से आगे जारी" से "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I" से

शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

1. परमेश्वर को जानना वास्तव में क्या है? क्या बाइबल की जानकारी और धार्मिक सिद्धांत को समझना, परमेश्वर को जानना माना जा सकता है?


परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

परमेश्वर को जानने का क्या अभिप्राय है? इसका अभिप्राय है कि मनुष्य परमेश्वर की भावनाओं के विस्तार को जानता है, परमेश्वर को जानना यही है। आप कहते हैं कि आपने परमेश्वर को देखा है, फिर भी आप परमेश्वर की भावनाओं के विस्तार को नहीं जानते हैं, उनके स्वभाव को नहीं जानते हैं, और उनकी धार्मिकता को भी नहीं जानते हैं। आपको उनकी दयालुता की कोई समझ नहीं है, और आप नहीं जानते हैं कि वे किससे घृणा करते हैं। इसे परमेश्वर को जानना नहीं कहा जा सकता है।

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?



3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्‍वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है" (1यूहन्ना 4:2-3)।

शनिवार, 29 सितंबर 2018

1. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच सारभूत अंतर क्या है?


1. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच सारभूत अंतर क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

स्वयं परमेश्वर के कार्य में सम्पूर्ण मानवजाति का कार्य सम्मिलित है, और यह सम्पूर्ण युग के कार्य का भी प्रतिनिधित्व करता है। कहने का तात्पर्य है, परमेश्वर का स्वयं का कार्य पवित्र आत्मा के सभी कार्य की गति एवं प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि प्रेरितों का कार्य परमेश्वर के स्वयं के कार्य का अनुसरण करता है और युग की अगुवाई नहीं करता है, न ही यह सम्पूर्ण युग में पवित्र आत्मा के कार्य करने की प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

2. हर किसी को यह समझना चाहिए कि अंतिम दिनों में परमेश्वर द्वारा व्यक्त की गई सारी सच्चाई अनन्त जीवन का मार्ग है।



2. हर किसी को यह समझना चाहिए कि अंतिम दिनों में परमेश्वर द्वारा व्यक्त की गई सारी सच्चाई अनन्त जीवन का मार्ग है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

शनिवार, 22 सितंबर 2018

3. अनुग्रह के युग की तुलना में राज्य के युग में, कलीसियाई जीवन में क्या अंतर है?

3. अनुग्रह के युग की तुलना में राज्य के युग में, कलीसियाई जीवन में क्या अंतर है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, 'लो, खाओ; यह मेरी देह है।' फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, 'तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है'" (मत्ती 26:26-28)।
"मैं ने स्वर्गदूत के पास जाकर कहा, 'यह छोटी पुस्तक मुझे दे।' उसने मुझ से कहा, 'ले, इसे खा ले; यह तेरा पेट कड़वा तो करेगी, पर तेरे मुँह में मधु सी मीठी लगेगी'" (प्रकाशितवाक्य 10:9)।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

जब, अनुग्रह के युग में, परमेश्वर तीसरे स्वर्ग में लौटा, तो समस्त मानव जाति के छुटकारे का परमेश्वर का कार्य वास्तव में पहले से ही अपनी समापन की क्रिया में चला गया था।

बुधवार, 12 सितंबर 2018

2. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य महान श्वेत सिंहासन का न्याय है, जिसकी प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में भविष्यवाणी की गई है।

2. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य महान श्वेत सिंहासन का न्याय है, जिसकी प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में भविष्यवाणी की गई है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1पतरस 4:17)।

"फिर मैं ने एक बड़ा श्‍वेत सिंहासन और उसको, जो उस पर बैठा हुआ है, देखा; उसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उनके लिये जगह न मिली। फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गईं; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसा उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, वैसे ही उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।

सोमवार, 27 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वरके कथन "केवल वह जो परमेश्वर के कार्य को अनुभव करता है वही परमेवर में सच में विश्वास करता है"




सर्वशक्तिमान परमेश्वरके कथन "केवल वह जो परमेश्वर के कार्य को अनुभव करता है वही परमेवर में सच में विश्वास करता है" 



सर्वशक्तिमान परमेश्वरकहते हैं: "यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के बीच में अपना कार्य करने के लिये देहधारी हो गया। उसका कार्य एकाकीपन में नहीं किया गया, बल्कि यहोवा के कार्य पर किया गया। यह नये युग के लिये एक कार्य था जब परमेश्वर ने व्यवस्था के युग का समापन कर दिया था।

शनिवार, 25 अगस्त 2018

सौभाग्य और दुर्भाग्य




सौभाग्य और दुर्भाग्य 

 एक गरीब परिवार में आने की वजह से, बहुत छोटी उम्र से ही डु जुआन एक बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए बहुत सा धन कमाने को दृढ़-संकल्पित थी। अपने इस लक्ष्य को साकार करने के लिए, धन कमाने के लिए वह हाथ से जो कुछ भी काम कर सकती थी वह करने के लिए उसने बहुत जल्‍दी स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ दी।

गुरुवार, 19 जुलाई 2018

परमेश्वर का प्रेम सर्वाधिक यथार्थ है

परमेश्वर का प्रेम सर्वाधिक यथार्थ है

वेंझोंग बीजिंग शहर

11 अगस्त 2012



21 जुलाई 2012 की रात को हमारे यहाँ एक भयावह बाढ़ आई थी। इस प्रकार की दुर्घटनाएं कभी कभी ही घटित होती है। मैंने इस दुर्घटना के दौरान क्या अनुभव किया और मैंने क्या देखा; उन सभी लोगों को बताना चाहती हूँ जो लोग परमेश्वर के लिए लालायित रहते हैं।

रविवार, 1 जुलाई 2018

एक उड़ाऊपुत्र की वापसी

एक उड़ाऊपुत्र की वापसी

वांग सिन हार्बिन शहर


1999 में, मैं कलीसिया के कार्य की आवश्यकताओं के कारण एक अग्रणी बन गया। हालांकि शुरुआत में मुझे गहराई से महसूस हुआ कि मैं कार्य के योग्य नहीं था, कुछ समय बाद मेरे अभिमान और आत्म तुष्ट स्वभाव के कारण, मेरी प्रारंभिक सावधानी धीरे-धीरे स्वयं को उत्कर्षित करने और अपने बारे में गवाही देने में बदल गयी। मैं भोजन, कपड़े और मौज-मस्ती में लगा रहता था, और लालची बनकर अपनी हैसियत के मज़े ले रहा था। मैं परमेश्वर के साथ एक समान स्तर पर भी होना चाहता था। अंततः मुझे निकाल दिया और घर भेजा दिया गया। उसके बाद ही मैं जागरूक हुआ और मुझे एहसास हुआ कि "प्रतिष्ठा" ने मुझसे परमेश्वर और सच्चाई दोनों को छुड़वा दिया था; "प्रतिष्ठा" ने मुझसे अपना व्यक्तिगत राज्य स्थापित करवा दिया था; "प्रतिष्ठा" ने मुझे एक ईसा विरोधी में बदल दिया था; "प्रतिष्ठा" ने मुझे मृत्यु के मार्ग की ओर भेज दिया था। तब मुझे पता चला कि मैं सही मार्ग से बहुत दूर भटक गया था और बहुत गहरा गिर चुका था।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...