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रविवार, 7 अप्रैल 2019

64. हमें लगता है कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं और बाइबल से बाहर की किसी भी चीज़ में परमेश्वर के प्रकाशित वाक्य या वचन नहीं हैं। इस प्रकार का बयान क्यों गलत है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं" (यूहन्ना 21:25)।
"जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी। फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊँचे शब्द से यह प्रचार करता था, 'इस पुस्तक के खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?' परन्तु न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य निकला।

शनिवार, 6 अप्रैल 2019

63. बाइबल कहती है कि पूरी बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से दी गयी है, फिर आप क्यों कहते हैं कि बाइबल में पूरी तरह से परमेश्वर के वचन नहीं हैं?

बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का लिखित दस्तावेज़ नहीं है। बाइबल सामान्यतः परमेश्वर के कार्य की पिछली दो अवस्थाओं का आलेख करती है, उसमें से एक भाग है जो पैग़म्बरों की भविष्यवाणियों का लिखित दस्तावेज़ है, और एक भाग वह अनुभव और ज्ञान है जिन्हें युगों के दौरान उन लोगों के द्वारा लिखा गया था जिन्हें परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल किया गया था। मानवीय अनुभवों को मानवीय अनुमानों और ज्ञान के साथ दूषित किया गया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बाइबल की बहुत सी पुस्तकों में मानवीय धारणाएँ, मानवीय पक्षपात, और मनुष्यों के बेतुके अनुवाद हैं।

गुरुवार, 1 नवंबर 2018

6. क्या धार्मिक दुनिया में सच्चाई और परमेश्वर की सत्ता होती है, या मसीह-शत्रु और शैतान की सत्ता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो" (मत्‍ती 23:13)।
"यीशु ने परमेश्‍वर के मन्दिर में जाकर उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया, और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं; और उनसे कहा, 'लिखा है, "मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा"; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो'" (मत्‍ती 21:12-13)।

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

4. क्या धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग सभी वास्तव में परमेश्वर द्वारा प्रतिष्ठित हैं? क्या धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों के प्रति स्वीकृति और आज्ञाकारिता परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता और उसके अनुसरण को दर्शा सकती हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"इसलिये अब सुन, इस्राएलियों की चिल्‍लाहट मुझे सुनाई पड़ी है, और मिस्रियों का उन पर अन्धेर करना भी मुझे दिखाई पड़ा है। इसलिये आ, मैं तुझे फ़िरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए" (निर्गमन 3:9-10)।
"भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, 'हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है?' ... उसने उससे कहा, 'मेरे मेमनों को चरा।' उसने फिर दूसरी बार उससे कहा, 'हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है?' ... उसने उससे कहा, 'मेरी भेड़ों की रखवाली कर' (युहन्ना 21:15-16)।

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

2. यह क्यों कहा जाता है कि धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग सभी फरीसियों के मार्ग पर चल रहे हैं? उनका सार क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"फिर वह दृष्‍टान्तों में उनसे बातें करने लगा: "किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। फिर फल के मौसम में उसने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसानों से दाख की बारी के फलों का भाग ले। पर उन्होंने उसे पकड़कर पीटा और छूछे हाथ लौटा दिया। फिर उसने एक और दास को उनके पास भेजा; उन्होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया।

शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

1. प्रभु यीशु ने फरीसियों को क्यों शाप दिया था? वास्तव में फरीसियों का सार क्या है?


1. प्रभु यीशु ने फरीसियों को क्यों शाप दिया था? वास्तव में फरीसियों का सार क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"तुम भी अपनी परम्पराओं के कारण क्यों परमेश्‍वर की आज्ञा टालते हो? क्योंकि परमेश्‍वर ने कहा है, 'अपने पिता और अपनी माता का आदर करना', और 'जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।'

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

1. परमेश्वर की कलीसिया क्या है? एक धार्मिक संगठन क्या होता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यीशु ने परमेश्‍वर के मन्दिर में जाकर उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया, और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं; और उनसे कहा, "लिखा है, 'मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा'; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो" (मत्ती 21:12-13)।
"उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, गिर गया, बड़ा बेबीलोन गिर गया है! वह दुष्‍टात्माओं का निवास, और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और हर एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गया। क्योंकि उसके व्यभिचार की भयानक मदिरा के कारण सब जातियाँ गिर गई हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है, और पृथ्वी के व्यापारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं" (प्रकाशितवाक्य 18:2-3)।

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

2. अंतिम दिनों में चीन में कार्य करने के लिए परमेश्वर के देह-धारण का उद्देश्य और महत्व क्या है?


2. अंतिम दिनों में चीन में कार्य करने के लिए परमेश्वर के देह-धारण का उद्देश्य और महत्व क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

परमेश्वर के कार्य का प्रत्येक चरण सारी मानवजाति के वास्ते है, और समूची मानवजाति की ओर निर्देशित है। यद्यपि यह देह में उसका कार्य है, फिर भी इसे अब भी सारी मानवजाति की ओर निर्देशित किया गया है; वह सारी मानवजाति का परमेश्वर है, वह सभी सृजे गए और न सृजे गए प्राणियों का परमेश्वर है।

रविवार, 21 अक्टूबर 2018

1. अंतिम दिनों में परमेश्वर ने चीन में देह-धारण किया है; बाइबल की भविष्यवाणियों में और परमेश्वर के वचनों में इसके लिए क्या आधार मिलता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट चढ़ाई जाती है" (मलाकी 1:11)।
"क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)।

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

3. व्यवस्था के युग में नबियों के द्वारा दिए गए परमेश्वर के वचनों और देहधारी परमेश्वर द्वारा व्यक्त परमेश्वर के वचनों में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

अनुग्रह के युग में, यीशु ने भी काफ़ी बातचीत की और काफ़ी कार्य किया। वह यशायाह से किस प्रकार भिन्न था? वह दानिय्येल से किस प्रकार भिन्न था? क्या वह कोई भविष्यद्वक्ता था? ऐसा क्यों कहा जाता है कि वह मसीह है? उनके मध्य क्या भिन्नताएँ हैं? वे सभी मनुष्य थे जिन्होंने वचन बोले थे, और मनुष्य को उनके वचन लगभग एक से प्रतीत होते थे। उन सभी ने बातें की और कार्य किए। पुराने विधान के भविष्यवद्क्ताओं ने भविष्यवाणियाँ की, और उसी तरह से, यीशु भी वैसा ही कर सका। ऐसा क्यों है? यहाँ कार्य की प्रकृति के आधार पर भिन्नता है।

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

1. परमेश्वर की आवाज़ को वास्तव मरण कैसे पहचानना चाहिए? कोई कैसे इस बात की पुष्टि कर सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटा हुआ प्रभु यीशु है?



1. परमेश्वर की आवाज़ को वास्तव मरण कैसे पहचानना चाहिए? कोई कैसे इस बात की पुष्टि कर सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटा हुआ प्रभु यीशु है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (युहन्ना 10:27)।
"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (युहन्ना 16:12-13)।

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

6. बाइबल के साथ वास्तव में कैसे पेश आना चाहिए और उसका उपयोग किस तरह से करना चाहिए कि वह परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप हो? बाइबल का मूलभूत मूल्य क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

आज, मैं इस रीति से बाइबल की चीरफाड़ कर रहा हूँ और इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं इस से नफरत करता हूँ, या सन्दर्भ के लिए इसके मूल्य को नकारता हूँ। अंधकार में रखे जाने से तुम्हें रोकने के लिए मैं तुम्हारे लिए बाइबल के अंतर्निहित मूल्यों और इसकी उत्पत्ति की व्याख्या कर रहा हूँ। क्योंकि बाइबल के बारे में लोगों के अनेक दृष्टिकोण हैं, और उनमें से अधिकांश ग़लत हैं; इस तरह से बाइबल पढ़ना न केवल उन्हें उन चीज़ों को प्राप्त करने से रोकता है जो उन्हें प्राप्त करनी चाहिए, बल्कि, अधिक महत्वपूर्ण यह है, कि यह उस कार्य में भी बाधा डालता है जिसे करने का मैं इरादा करता हूँ। यह भविष्य के कार्य के लिए एक बहुत ही जबर्दस्त उपद्रव है, और केवल कमियाँ प्रदान करता है, लाभ नहीं।

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?




5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए।

शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

2. धार्मिक दुनिया का मानना है कि सभी शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गए हैं और ये सब परमेश्वर के ही वचन हैं; इस कथन के प्रति हर किसी को क्या विवेक रखना चाहिए?


2. धार्मिक दुनिया का मानना है कि सभी शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गए हैं और ये सब परमेश्वर के ही वचन हैं; इस कथन के प्रति हर किसी को क्या विवेक रखना चाहिए?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का लिखित दस्तावेज़ नहीं है। बाइबल सामान्यतः परमेश्वर के कार्य की पिछली दो अवस्थाओं का आलेख करती है, उसमें से एक भाग है जो पैग़म्बरों की भविष्यवाणियों का लिखित दस्तावेज़ है, और एक भाग वह अनुभव और ज्ञान है जिन्हें युगों के दौरान उन लोगों के द्वारा लिखा गया था जिन्हें परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल किया गया था।

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

5. परमेश्वर कैसे पूरे ब्रह्मांड पर प्रभुत्व रखता है और प्रशासन करता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

इस विशाल ब्रह्मांड में ऐसे कितने प्राणी हैं जो सृष्टि के नियम का बार-बार पालन करते हुए, एक ही निरंतर नियम पर चल रहे हैं और प्रजनन कार्य में लगे हैं। जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं?

मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

4. जो भी परमेश्वर में विश्वास करता है, उन्हें झूठे चरवाहों और मसीह-शत्रुओं को पहचानने में सक्षम होना चाहिए ताकि वह धर्म को त्याग कर परमेश्वर की ओर लौट सके


संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है: हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए? तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते। तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है" (यहेजकेल 34:2-4)।

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

3. हर व्यक्ति को देहधारी मसीह और झूठे मसीहों/झूठे भविष्यद्वक्ताओं के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।


3. हर व्यक्ति को देहधारी मसीह और झूठे मसीहों/झूठे भविष्यद्वक्ताओं के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:24)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ" (यूहन्ना 14:6)।

रविवार, 30 सितंबर 2018

2. परमेश्वर के द्वारा उपयोग में लाये गए लोगों के कार्य और धार्मिक नेताओं के काम के बीच क्या अंतर है?


संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"तब यहोवा ने कहा, '… परन्तु मेरा दास मूसा ऐसा नहीं है; वह तो मेरे सब घरानों में विश्‍वासयोग्य है'" (गिनती 12:6-7)।
"हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए? तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते। तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है। वे चरवाहे के न होने के कारण तितर-बितर हुईं; और सब वनपशुओं का आहार हो गईं। मेरी भेड़-बकरियाँ तितर-बितर हुई हैं; वे सारे पहाड़ों और ऊँचे ऊँचे टीलों पर भटकती थीं; मेरी भेड़-बकरियाँ सारी पृथ्वी के ऊपर तितर-बितर हुईं; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उनको ढूँढ़ता था" (यहेजकेल 34:2-6)।

शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

3. हर किसी को अनुग्रह के युग में पश्चाताप के मार्ग और अंतिम दिनों में अनन्त जीवन के मार्ग के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।

3. हर किसी को अनुग्रह के युग में पश्चाताप के मार्ग और अंतिम दिनों में अनन्त जीवन के मार्ग के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

2. हर किसी को यह समझना चाहिए कि अंतिम दिनों में परमेश्वर द्वारा व्यक्त की गई सारी सच्चाई अनन्त जीवन का मार्ग है।



2. हर किसी को यह समझना चाहिए कि अंतिम दिनों में परमेश्वर द्वारा व्यक्त की गई सारी सच्चाई अनन्त जीवन का मार्ग है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...