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मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही पुनः वापस आया यीशु है।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर चीन की मुख्य भूमि में देहधारण किया है, जिसे हांगकांग और ताइवान में हमवतन के लोग अंतर्देशीय कहते हैं। जब परमेश्वर ऊपर से पृथ्वी पर आया, तो स्वर्ग और पृथ्वी में कोई भी इसके बारे में नहीं जानता था, क्योंकि यही परमेश्वर का एक गुप्त अवस्था में लौटने का वास्तविक अर्थ है। वह लंबे समय तक देह में कार्य करता और रहता रहा है, फिर भी इसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। आज के दिन तक भी, कोई इसे पहचानता नहीं है। शायद यह एक शाश्वत पहेली रहेगा। इस बार परमेश्वर का देह में आना कुछ ऐसा नहीं है जिसके बारे कोई भी जानने में सक्षम नहीं है।

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही एक सच्चा परमेश्वर है जो सभी चीज़ों पर शासन करता है।

अध्याय 1 तुम्हें अवश्य जानना चाहिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही एक सच्चा परमेश्वर है जिसने आकाश और पृथ्वी और वह सब कुछ बनाया है जो कुछ उन में है।

मनुष्य नहीं जानता कि ब्रह्मांड की सत्ता किसके पास है, मानवजाति की उत्पत्ति और भविष्य तो वह बिल्कुल नहीं जानती। मानवजाति सिर्फ मजबूरन इन नियमों के अधीन रहती है। न तो इससे कोई बच सकता है और न ही कोई इसे बदल सकता है, क्योंकि इन सबके मध्य और स्वर्ग में केवल एक ही शाश्वत सत्ता है जो सभी पर अपनी सम्प्रभुता रखती है। और ये वह है जिसे कभी भी मनुष्य ने देखा नहीं है, जिसे मानवजाति ने कभी जाना नहीं है, जिसके अस्तित्व में मनुष्य ने कभी भी विश्वास नहीं किया, फिर भी वही एक है जिसने मानवजाति के पूर्वजों को श्वास दी और मानवजाति को जीवन प्रदान किया।

बुधवार, 9 जनवरी 2019

परमेश्वर के विश्वासियों को किस प्रकार की पीड़ा अवश्य सहनी चाहिए और पीड़ा का अर्थ।

6. परमेश्वर के विश्वासियों को किस प्रकार की पीड़ा अवश्य सहनी चाहिए और पीड़ा का अर्थ।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज अधिकाँश लोग यह महसूस नहीं करत: वे मानते हैं कि दुःख उठाने का कोई महत्व नहीं है, वे संसार के द्वारा त्यागे जाते हैं, उनके पारिवारिक जीवन में परेशानी होती है, वे परमेश्वर के प्रिय भी नहीं होते, और उनकी अपेक्षाएँ काफी निराशापूर्ण होती हैं। कुछ लोगों के कष्ट एक विशेष बिंदु तक पहुँच जाते हैं, और उनके विचार मृत्यु की ओर मुड़ जाते हैं। यह परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम नहीं है; ऐसे लोग कायर होते हैं, उनमें बिलकुल धीरज नहीं होता, वे कमजोर और शक्तिहीन होते हैं! परमेश्वर उत्सुक है कि मनुष्य उससे प्रेम करे, परंतु मनुष्य जितना अधिक उससे प्रेम करता है, मनुष्य के कष्ट उतने अधिक बढ़ते हैं, और जितना अधिक मनुष्य उससे प्रेम करता है, मनुष्य के क्लेश उतने अधिक होते हैं।

सोमवार, 7 जनवरी 2019

परमेश्वर पर विश्वास करने वालों को अपने गंतव्य के लिए भले कार्यों से पर्याप्त होकर तैयार होना चाहिए।

7. परमेश्वर पर विश्वास करने वालों को अपने गंतव्य के लिए भले कार्यों से पर्याप्त होकर तैयार होना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मेरी दया उनके लिये है जो मुझसे प्रेम करते हैं और अपने आपको नकारते हैं। और दुष्टों को दिया गया दण्ड मेरे धार्मिक स्वभाव का प्रमाण और उससे बढ़कर मेरे क्रोध का साक्षी है। जब कभी संकट, अकाल और महामारी आयेगीं, तो ये सब मेरा विरोध करने वालों पर आयेगी और वे विलाप करेंगे। जिन्होंने बहुत वर्षों तक मेरा अनुसरण करते हुए भी सब प्रकार के बुरे कर्म किये हैं - वे निर्दोष नहीं होंगे; वे उस संकट के बीच लगातार आंतक और भय के साथ जीयेंगे, जिसे इन युगों के बीच पहले कभी नहीं देखा गया। मेरे अनुयायी जो किसी और के प्रति निष्ठावान नहीं थे वे मेरी सामर्थ में आनंद करेंगे और तालियां बजाएंगे। वे वर्णन से बाहर संतुष्टि का अनुभव करेंगे और उस आनंद में रहेंगे जो मैंने पहले कभी मानव जाति को नहीं दिया। क्योंकि मैं मनुष्यों के 'भले कामों' से सुख पाता हूँ और उनके 'बुरे कामों' से घृणा करता हूँ।

शनिवार, 5 जनवरी 2019

परमेश्वर पर विश्वास केवल शान्ति और आशीषों को खोजने के लिए ही नहीं होना चाहिए।

5. परमेश्वर पर विश्वास केवल शान्ति और आशीषों को खोजने के लिए ही नहीं होना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज, आपको सही रास्ते पर नियत अवश्य होना चाहिए क्योंकि तुम व्यावहारिक परमेश्वर में विश्वास करते हो। परमेश्वर में विश्वास करके, तुम्हें सिर्फ़ आशीषों को ही नहीं खोजना चाहिए, बल्कि परमेश्वर को प्रेम करने और परमेश्वर को जानने की कोशिश करनी चाहिए। इस प्रबुद्धता और तुम्हारी स्वयं की खोज के माध्यम से, तुम उसके वचन को खा और पी सकते हो, परमेश्वर के बारे में एक सच्ची समझ को विकसित कर सकते हो, और परमेश्वर के लिए एक सच्चा प्रेम रख सकते हो जो तुम्हारे हृदय से आता है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम सबसे अधिक सच्चा है, इतना कि उसके लिए तुम्हारे प्रेम को कोई नष्ट नहीं कर सकता है या उसके लिए तुम्हारे प्रेम के मार्ग में कोई खड़ा नहीं हो सकता है।

गुरुवार, 3 जनवरी 2019

पवित्र शिष्टता जो परमेश्वर के विश्वासियों को धारण करनी चाहिए

4. पवित्र शिष्टता जो परमेश्वर के विश्वासियों को धारण करनी चाहिए

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने से पहले, मनुष्य स्वभाविक रूप से परमेश्वर का अनुसरण करता था और उसके वचनों का आज्ञापालन करता था। वह स्वभाविक रूप से सही समझ और सद्विवेक का था, और सामान्य मानवता का था। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, सद्विवेक, और मानवता मंदी हो गईं और शैतान के द्वारा खराब हो गईं। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसकी समझ एक जानवर के समान हो गई है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक लगातार और गंभीर हो गई है। अभी तक मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है।…

बुधवार, 2 जनवरी 2019

परमेश्वर पर विश्वास में, तुम्हें परमेश्वर के साथ सामान्य सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।

3. परमेश्वर पर विश्वास में, तुम्हें परमेश्वर के साथ सामान्य सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर में विश्वास करने में तुम्हें कम से कम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखने के विषय का समाधान करना चाहिए। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध के बिना परमेश्वर में विश्वास करने का महत्व खो जाता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करना परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय को शांत करने के द्वारा ही किया जा सकता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करने का अर्थ है परमेश्वर के किसी भी कार्य पर संदेह न करना या उसका इनकार न करना, बल्कि उसके प्रति समर्पित रहना, और इससे बढ़कर इसका अर्थ है परमेश्वर की उपस्थिति में सही इरादों को रखना, स्वयं के बारे में न सोचते हुए हमेशा परमेश्वर के परिवार की बातों को सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में सोचना, फिर चाहे तुम कुछ भी क्यों न कर रहे हो, परमेश्वर के अवलोकन को स्वीकार करना और परमेश्वर के प्रबंधनों के प्रति समर्पण करना।

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

सच्चे मार्ग की खोज में तुम्हें तर्कशक्ति से सम्पन्न अवश्य होना चाहिए

2. सच्चे मार्ग की खोज में तुम्हें तर्कशक्ति से सम्पन्न अवश्य होना चाहिए

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर और मनुष्य को बराबर नहीं कहा जा सकता। उसका सार और उसका कार्य मनुष्य के लिये सर्वाधिक अथाह और समझ से परे है। यदि परमेश्वर व्यक्तिगत रूप में अपना कार्य न करे, और मनुष्यों के संसार में अपने वचन न कहें, तो मनुष्य कभी भी परमेश्वर की इच्छा को समझ नहीं सकता है, और इसलिए, यहाँ तक कि जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भी परमेश्वर को समर्पित कर दिया है, वे भी उसके अनुमोदन को पाने में सक्षम नहीं हैं। परमेश्वर के कार्य के बिना, चाहे मनुष्य कितना भी अच्छा करे, उसका कोई मूल्य नहीं होगा, क्योंकि परमेश्वर के विचार मनुष्य के विचार से सदैव ऊँचे होंगे, और परमेश्वर की बुद्धि मनुष्यों के लिये अपरिमेय है। और इसीलिये मैं कहता हूँ कि जिन्होंने परमेश्वर और उसके काम की "वास्तविक प्रकृति का पता लगाया" है कि प्रभावहीन है, वे अभिमानी और अज्ञानी हैं।

शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

परमेश्वर पर विश्वास में नए कार्य के प्रति लोगों के विरोध का स्रोत तुम्हें अवश्य मालूम होना चाहिए।

1.परमेश्वर पर विश्वास में नए कार्य के प्रति लोगों के विरोध का स्रोत तुम्हें अवश्य मालूम होना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मनुष्य के द्वारा परमेश्वर का विरोध करने का कारण, एक ओर मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव से, और दूसरी ओर, परमेश्वर के प्रति अज्ञानता और परमेश्वर के कार्य के सिद्धांतों की और मनुष्य के प्रति उनकी इच्छा की समझ की कमी से उत्पन्न होता है। इन दोनों पहलुओं का, परमेश्वर के प्रति मनुष्य के प्रतिरोध के इतिहास में विलय होता है। नौसिखिए विश्वासी परमेश्वर का विरोध करते हैं क्योंकि ऐसा विरोध उनकी प्रकृति में होता है, जबकि कई वर्षों से विश्वास वाले लोगों में परमेश्वर का विरोध, उनके भ्रष्ट स्वभाव के अलावा, परमेश्वर के प्रति उनकी अज्ञानता का परिणाम है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "वे सब जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं वे ही परमेश्वर का विरोध करते हैं" से

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

बाहरी अच्छे कर्मों और स्वभाव में परिवर्तनों के बीच अंतर

अध्याय 6 विभेदन के कई रूप जिन्हें परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास में तुम्हें धारण करना चाहिए

7. बाहरी अच्छे कर्मों और स्वभाव में परिवर्तनों के बीच अंतर
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
धर्म के दायरे में, बहुत से लोग सारा जीवन निरर्थकता से कष्ट भोगते हैं, अपने शरीर को नियंत्रित करते हुए या अपना बोझ उठाते हुए, यहाँ तक कि अपनी अंतिम सांस तक पीड़ा सहते हुए! कुछ लोग अपनी मृत्यु की सुबह में भी उपवास रखते हैं। वे अपने पूर्ण जीवन के दौरान स्वयं को अच्छे भोजन और अच्छे कपड़े से दूर रखते हैं, और केवल पीड़ा पर ज़ोर देते हैं। वे अपने शरीर को वश में कर पाते हैं और अपने शरीर को त्याग पाते हैं। पीड़ा सहन करने की उनकी भावना सराहनीय है। लेकिन उनकी सोच, उनकी धारणाएं, उनका मानसिक रवैया, और वास्तव में उनका पुराना स्वभाव—इनमें से किसी के साथ बिल्कुल भी निपटा नहीं गया है। उनकी स्वयं के बारे में कोई सच्ची समझ नहीं है। परमेश्वर के बारे में उनकी मानसिक छवि एक निराकार, अज्ञात परमेश्वर की पारंपरिक छवि है।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...