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शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

3. बाइबल मनुष्य द्वारा संकलित की गई थी, परमेश्वर द्वारा नहीं; बाइबल परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते" (युहन्ना 5:39-40)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (युहन्ना 14:6)।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

बाइबल इस्राएल में परमेश्वर के कार्य का ऐतिहासिक अभिलेख है, और प्राचीन नबीयों की अनेक भविष्यवाणियों और साथ ही उस समय उसके कार्य में यहोवा के कुछ कथनों को प्रलेखित करती है।

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

2. क्या मसीह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है या वह खुद ही परमेश्वर है?

2. क्या मसीह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है या वह खुद ही परमेश्वर है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"फिलिप्पुस ने उससे कहा, 'हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।' यीशु ने उससे कहा, 'हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो'" (यूहन्ना 14:8-11)।
"मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)।

शनिवार, 22 सितंबर 2018

3. अनुग्रह के युग की तुलना में राज्य के युग में, कलीसियाई जीवन में क्या अंतर है?

3. अनुग्रह के युग की तुलना में राज्य के युग में, कलीसियाई जीवन में क्या अंतर है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, 'लो, खाओ; यह मेरी देह है।' फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, 'तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है'" (मत्ती 26:26-28)।
"मैं ने स्वर्गदूत के पास जाकर कहा, 'यह छोटी पुस्तक मुझे दे।' उसने मुझ से कहा, 'ले, इसे खा ले; यह तेरा पेट कड़वा तो करेगी, पर तेरे मुँह में मधु सी मीठी लगेगी'" (प्रकाशितवाक्य 10:9)।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

जब, अनुग्रह के युग में, परमेश्वर तीसरे स्वर्ग में लौटा, तो समस्त मानव जाति के छुटकारे का परमेश्वर का कार्य वास्तव में पहले से ही अपनी समापन की क्रिया में चला गया था।

बुधवार, 19 सितंबर 2018

4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?



4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

समय की प्रत्येक अवधि में, परमेश्वर नया कार्य आरम्भ करेगा, और प्रत्येक अवधि में, मनुष्य के बीच में एक नई शुरुआत होगी।

शनिवार, 15 सितंबर 2018

5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?



5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

समय की प्रत्येक अवधि में, परमेश्वर नया कार्य आरम्भ करेगा, और प्रत्येक अवधि में, मनुष्य के बीच में एक नई शुरुआत होगी।

शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।

4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।

(1) अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को शुद्ध करने, बचाने और सिद्ध बनाने, तथा विजय प्राप्त करने वालों का एक समूह बनाने के लिए किया जाता है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूँगा जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिये सारे संसार पर आनेवाला है। मैं शीघ्र ही आनेवाला हूँ; जो कुछ तेरे पास है उसे थामे रह कि कोई तेरा मुकुट छीन न ले। जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्‍य 3:10-12)।

गुरुवार, 13 सितंबर 2018

3. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य किस तरह मानवजाति को शुद्ध करता और बचाता है?



3. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य किस तरह मानवजाति को शुद्ध करता और बचाता है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (युहन्ना 12:47-48)।

मंगलवार, 11 सितंबर 2018

1. अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने मानव जाति को छुटकारा दिलाया था, तो क्यों आखिरी दिनों में उसे न्याय के अपने कार्य को करने की अब भी आवश्यकता है?


1. अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने मानव जाति को छुटकारा दिलाया था, तो क्यों आखिरी दिनों में उसे न्याय के अपने कार्य को करने की अब भी आवश्यकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)।
"सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)

शनिवार, 1 सितंबर 2018

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"मैं तो पानी से अथवा, में तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्‍तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा" (मत्ती 3:11)।

रविवार, 19 अगस्त 2018

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है"



अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है" 

    सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर का भय और बुराई से दूर रहना और परमेश्वर को जानना अदृश्य तरीके से एक दूसरे से असंख्य धागों से जुड़ी रहती है और इनके मध्य यह सम्बन्ध स्पष्ट है।

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

दुनिया के अंधकार और बुराई के स्रोत के बारे में संक्षिप्त बात

दुनिया के अंधकार और बुराई के स्रोत के बारे में संक्षिप्त बात

यांग ली वुहाई सिटी, इनर मंगोलिया आॅटोनॉमस क्षेत्र



जब मैं स्कूल में ही थी, तब मेरे पिता हो गए और उनका देहांत हो गया। उनकी मौत के बाद, परिवार के दोनों पक्षों के अंकल, मेरे पिता अक्सर ही जिनकी मदद किया करते थे, उन्होंने न केवल हमारा — मेरी मां जिनके पास कमाई का कोई स्रोत नहीं था, मेरी दो बहनें और मैं, ध्यान नहीं दिया, बल्कि इसके विपरीत, हमसे फायदा कमाने के लिए वे जो कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने किया, यहां कि उस थोड़ी सी विरासत के लिए भी हमसे लड़ाई की जो मेरे पिता पीछे छोड़ गए थे। मेरे रिश्तेदारों के मतभेदों और उन्होंने जो कुछ भी किया जिसकी उम्मीद मैं कभी भी नहीं कर सकती थी, उसके समक्ष मैंने बहुत दर्द महसूस किया और मैं इन रिश्तेदारों द्वारा प्रदर्शित विवेक की पूर्ण कमी और निष्ठुरता से नफरत करने लगी थी, साथ ही मुझे मानव प्रकृति की अस्थिरता का भी ज्ञान होने लगा था।

सोमवार, 9 जुलाई 2018

यह जानना कि मैं फरीसियों के मार्ग पर चलती आई हूँ

यह जानना कि मैं फरीसियों के मार्ग पर चलती आई हूँ

वुज़िन ताइयुआन सिटी, शांग्ज़ी प्रांत


कोई चीज़ जिसके बारे में हमने पिछले संवादों में हमेशा चर्चा की है, वह है पतरस और पौलुस द्वारा चले गए मार्ग। यह कहा जाता है कि पतरस ने स्वयं को और परमेश्वर को जानने पर ध्यान दिया था, और ऐसा व्यक्ति था जो परमेश्वर द्वारा अनुमोदित था, जबकि पौलुस ने केवल अपने कार्य, प्रतिष्ठा और हैसियत पर ध्यान दिया था, और ऐसा व्यक्ति था जो परमेश्वर द्वारा तिरस्कृत था। मैं पौलुस के मार्ग पर चलने से हमेशा डरते रही हूँ, इसी वजह से मैं आमतौर पर प्रायः पतरस के अनुभवों के बारे में परमेश्वर के वचनों को पढ़ती हूँ, ताकि यह देख सकूँ कि उसने परमेश्वर को कैसे जाना। कुछ समय तक ऐसे जीने के बाद, मुझे लगता था कि मैं पहले ही तुलना में ज्यादा आज्ञाकारी बन गई थी, प्रतिष्ठा और हैसियत के लिए मेरी इच्छा कम हो गई थी, और कि मैं स्वयं को थोड़ा-थोड़ा जानने लगी थी। उस समय, मैं यह मानती थी कि भले ही मैं पूरी तरह से पतरस के मार्ग पर नहीं हूँ, लेकिन ऐसा कहा जा सकता था कि मैंने उसका किनारा छू लिया है, और कम से कम इसका अर्थ यह है कि मैं पौलुस के मार्ग पर नहीं जा रही थी। हालाँकि, परमेश्वर के वचन के प्रकाशन से मुझे शर्मिंदगी होती थी।

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

परमेश्वर की इच्छा स्पष्ट रही है सभी के लिए




परमेश्वर की इच्छा स्पष्ट रही है सभी के लिए

मनुष्य की सृष्टि से,

परमेश्वर का अस्तित्व, उसकी इच्छा, उसका स्वरुप और स्वभाव

रहा है खुला सभी के लिए।

परमेश्वर ने कभी जान कर नहीं छुपाया अपना सार,

न अपना स्वभाव या इच्छा।

ये तो केवल मानवता है जो नहीं देती परमेश्वर के कार्यों पे,

उसकी इच्छा पर ध्यान,

और इसीलिए परमेश्वर के बारे में मनुष्य की समझ है बेहद कमजोर।

सोमवार, 16 अप्रैल 2018

वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं

   
     सभी मनुष्य यीशु के सच्चे रूप को देखने और उसके साथ रहने की इच्छा करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि भाईयों या बहनों में से एक भी ऐसा नहीं है जो कहेगा कि वह यीशु को देखने या उसके साथ रहने की इच्छा नहीं करता है। यीशु को देखने से पहले, अर्थात्, इस से पहले कि तुम लोग देहधारी परमेश्वर को देखो, तुमतुम्हारे भीतर अनेक विचार होंगे, उदाहरण के लिए, यीशु के रूप के बारे में, उसके बोलने का तरीका, उसके जीवन का तरीका, और इत्यादि। तथापि, जब तुम सब वास्तव में उसे देखते हो, तुम्हारे विचार तेजी से बदल जाएँगे। ऐसा क्यों है? क्या तुम लोग जानना चाहते हो?

बुधवार, 11 अप्रैल 2018

वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?


      सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?"


      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं "इतिहास आगे प्रगति करता है, इसलिए परमेश्वर का कार्य भी बढ़ता है, और परमेश्वर की इच्छा निरंतर बदलती रहती है। यह परमेश्वर के लिए अव्यवहारिक होगा कि वह कार्य के एक ही चरण को छः हज़ार साल तक बनाए रखे, क्योंकि मनुष्य यही जानता है कि परमेश्वर हमेशा नया है और कभी पुराना नहीं होता है। वह सम्भवतः सलीब पर चढ़ाने के समान कार्य को बनाए रखना और एक बार, दो बार, तीन बार.....सलीब पर चढ़ाया जाना जारी नहीं रख सका, यह एक विवेकहीन मनुष्य की अनुभूति है।

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

जब तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देख रहे होगे ऐसा तब होगा जब परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नये सिरे से बना चुका होगा


      जब तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देख रहे होगे ऐसा तब होगा जब परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नये सिरे से बना चुका होगा

      क्या तुम यीशु को देखना चाहते हो? क्या तुम यीशु के साथ रहना चाहते हो? क्या तुम यीशु के द्धारा कहे गए वचनों को सुनना चाहते हो? यदि ऐसा है, तो तुम यीशु के लौटने का कैसे स्वागत करेंगे? क्या तुम पूरी तरह से तैयार हो? किस ढंग से तुम यीशु के लौटने का स्वागत करेंगे? मुझे लगता है कि प्रत्येक भाई और बहन जो यीशु का अनुसरण करतें हो यीशु का अच्छी तरह से स्वागत करना चाहेंगे। परन्तु क्या तुम लोगों ने विचार किया है कि जब यीशु वापस आएगा तो क्या तुम सचमुच में उसे पहचान लेंगे?

शनिवार, 7 अप्रैल 2018

केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है


केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है
      प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करता है कि परमेश्वर का प्रबंधन अजीब है, क्योंकि लोग यह सोचते हैं कि परमेश्वर का प्रबंधन पूरी तरह से मनुष्य से सम्बन्धित नहीं है। वे यह सोचते हैं कि यह प्रबंधन केवल परमेश्वर का ही कार्य है, यह उसी के मतलब का है, और इसलिए मनुष्य परमेश्वर के प्रबंधन के प्रति बिल्कुल तटस्थ है। इस प्रकार से, मानवजाति का उद्धार अस्पष्ट और अनिश्चित हो गया है, और अब केवल खाली भाषणबाजी है। हालांकि मनुष्य परमेश्वर का अनुसरण करता है ताकि वह बच जाए और खूबसूरत गंतव्य में प्रवेश कर जाए, मनुष्य को कुछ भी चिंता नहीं है कि परमेश्वर अपना कार्य किस प्रकार से करता है। मनुष्य चिंता नहीं करता कि परमेश्वर की क्या करने की योजना है और बचने के लिए उसे क्या भूमिका अदा करनी होगी।

रविवार, 1 अप्रैल 2018

क्या त्रित्व का अस्तित्व है?


क्या त्रित्व का अस्तित्व है?

   
      यीशु के देहधारी होने के सत्य के विकसित होने के बाद ही मनुष्य इस बात को महसूस कर पाया: यह न केवल स्वर्ग का परमेश्वर है, बल्कि यह पुत्र भी है, और यहां तक कि वह आत्मा भी है। यह पारम्परिक धारणा है जिसे मनुष्य धारण किए हुए है, कि एक ऐसा परमेश्वर है जो स्वर्ग में हैः एक त्रित्व जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा है, और ये सभी एक में हैं। सभी मानवों की यही धारणाएं हैं: परमेश्वर केवल एक ही परमेश्वर है, परन्तु उसके तीन भाग हैं, जिसे कष्टदायक रूप से पारंपरिक धारणा में दृढ़ता से जकड़े सभी लोग पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा मानते हैं। केवल यही तीनों संपूर्ण परमेश्वर को बनाते हैं।

शनिवार, 17 फ़रवरी 2018

परमेश्वर अंतिम दिनों में मुख्यत: वचन से काम करता है



Hindi Christian Song | परमेश्वर अंतिम दिनों में मुख्यत: वचन से काम करता है


अंतिम दिनों में परमेश्वर देह बन जाता है।
अंतिम दिनों में परमेश्वर देह बन जाता है।
वो सब पूरा करता है, वो सब पूरा करता है अधिकतर अपने वचन से।
वो सबकुछ प्रत्यक्ष करता है अपने वचन से।
केवल उसके वचन में तुम देख सकते हो, वो जो है और ये कि वो परमेश्वर है।

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्यों को बचाने का कार्य भी है

 

     सभी लोगों को पृथ्वी पर मेरे कार्य के उद्देश्य को समझने की आवश्यकता है, अर्थात्, मेरे कार्य का अंतिम उद्देश्य और इससे पहले कि इसे पूरा किया जा सके कौन सा स्तर मुझे इस कार्य में अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए। यदि, आज के दिन तक मेरे साथ चलते रहे लोग यह नहीं समझते हैं कि मेरा समस्त कार्य किस बारे में है, तो क्या वे मेरे साथ व्यर्थ में नहीं चल रहे हैं?

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...