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शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

2. परमेश्वर केवल उस कलीसिया को आशीष क्यों देता है जो उसके कार्य को स्वीकार कर उसका अनुपालन करती है? वह धार्मिक संगठनों को क्यों शाप देता है?


2. परमेश्वर केवल उस कलीसिया को आशीष क्यों देता है जो उसके कार्य को स्वीकार कर उसका अनुपालन करती है? वह धार्मिक संगठनों को क्यों शाप देता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

क्योंकि ऐसे लोग जो किसी धर्म में हैं वे परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, और वे केवल भूतकाल के पुराने कार्य को ही थामे रहते हैं, इस प्रकार परमेश्वर ने इन लोगों को छोड़ दिया है, और उन लोगों पर अपना कार्य करता है जो उसके नए कार्य को स्वीकार करते हैं।

शनिवार, 29 सितंबर 2018

1. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच सारभूत अंतर क्या है?


1. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच सारभूत अंतर क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

स्वयं परमेश्वर के कार्य में सम्पूर्ण मानवजाति का कार्य सम्मिलित है, और यह सम्पूर्ण युग के कार्य का भी प्रतिनिधित्व करता है। कहने का तात्पर्य है, परमेश्वर का स्वयं का कार्य पवित्र आत्मा के सभी कार्य की गति एवं प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि प्रेरितों का कार्य परमेश्वर के स्वयं के कार्य का अनुसरण करता है और युग की अगुवाई नहीं करता है, न ही यह सम्पूर्ण युग में पवित्र आत्मा के कार्य करने की प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

रविवार, 23 सितंबर 2018

4. प्रभु ने अनुग्रह के युग में लोगों को जो सौंपा था और परमेश्वर राज्य के युग में जो सौंपता है, इनके बीच क्या अंतर है?


4. प्रभु ने अनुग्रह के युग में लोगों को जो सौंपा था और परमेश्वर राज्य के युग में जो सौंपता है, इनके बीच क्या अंतर है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा" (लूका 24:47)

रविवार, 19 अगस्त 2018

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है"



अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है" 

    सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर का भय और बुराई से दूर रहना और परमेश्वर को जानना अदृश्य तरीके से एक दूसरे से असंख्य धागों से जुड़ी रहती है और इनके मध्य यह सम्बन्ध स्पष्ट है।

रविवार, 5 अगस्त 2018

परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है


परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है

हालांकि अनगिनत समुद्र और पहाड़ों से जुदा हैं,
हम हैं एक लोग, हमारे बीच नहीं कोई सीमा,
भले ही विभिन्न रंग की त्वचा है, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं।
क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बुलाते हैं हमें,
परमेश्वर के सिंहासन के सामने हमें लाया गया है।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...