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मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

धार्मिक दुनिया ने क्यों हमेशा मसीह को नकारा तथा अस्वीकार किया है और उसकी निंदा की है, जिससे उसे परमेश्वर के शापों का सामना करना पड़ा है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य,मसीह


2. धार्मिक दुनिया ने क्यों हमेशा मसीह को नकारा तथा अस्वीकार किया है और उसकी निंदा की है, जिससे उसे परमेश्वर के शापों का सामना करना पड़ा है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"एक और दृष्‍टान्त सुनो: एक गृहस्वामी था, जिसने दाख की बारी लगाई, उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, उसमें रस का कुंड खोदा और गुम्मट बनाया, और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। जब फल का समय निकट आया, तो उसने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा। पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला, और किसी पर पथराव किया। फिर उसने पहलों से अधिक और दासों को भेजा, और उन्होंने उनसे भी वैसा ही किया। अन्त में उसने अपने पुत्र को उनके पास यह सोच कर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, 'यह तो वारिस है, आओ, इसे मार डालें और इसकी मीरास ले लें।' अत: उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला" (मत्ती 21:33-39)।

शनिवार, 24 नवंबर 2018

तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?

अध्याय 6 विभेदन के कई रूप जिन्हें परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास में तुम्हें धारण करना चाहिए

3. तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर देहधारी हुआ और मसीह कहलाया, और इसलिए वह मसीह, जो लोगों को सत्य दे सकता है, परमेश्वर कहलाता है। इसके बारे में और कुछ भी अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर के तत्व को स्वयं में धारण किए रहता है, और अपने कार्य में परमेश्वर के स्वभाव और बुद्धि को धारण करता है, और ये चीजें मनुष्य के लिये अप्राप्य हैं। जो अपने आप को मसीह कहते हैं, फिर भी परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते, वे सभी धोखेबाज़ हैं। मसीह पृथ्वी पर केवल परमेश्वर की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि वह देह है जिसे धारण करके परमेश्वर लोगों के बीच रहकर कार्य पूर्ण करता है।

बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

5. किसी ऐसे व्यक्ति का क्या अंजाम होता है जो धर्म में परमेश्वर पर विश्वास करता है और फरीसियों और मसीह-शत्रुओं के भ्रम और नियंत्रण से पीड़ित है? क्या इस तरह से परमेश्वर में विश्वास करने वाला कोई व्यक्ति परमेश्वर द्वारा बचाया जा सकता है?


5. किसी ऐसे व्यक्ति का क्या अंजाम होता है जो धर्म में परमेश्वर पर विश्वास करता है और फरीसियों और मसीह-शत्रुओं के भ्रम और नियंत्रण से पीड़ित है? क्या इस तरह से परमेश्वर में विश्वास करने वाला कोई व्यक्ति परमेश्वर द्वारा बचाया जा सकता है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"उन को जाने दो; वे अंधे मार्गदर्शक हैं और अंधा यदि अंधे को मार्ग दिखाए, तो दोनों ही गड़हे में गिर पड़ेंगे" (मत्‍ती 15:14)।

सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

3. क्यों परमेश्वर के कार्य का हर नया चरण धार्मिक दुनिया की प्रचंड अवज्ञा और निंदा का सामना करता है? इसका मूल कारण क्या है?


3. क्यों परमेश्वर के कार्य का हर नया चरण धार्मिक दुनिया की प्रचंड अवज्ञा और निंदा का सामना करता है? इसका मूल कारण क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"फिर वह दृष्‍टान्तों में उनसे बातें करने लगा: 'किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया।

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

2. परमेश्वर केवल उस कलीसिया को आशीष क्यों देता है जो उसके कार्य को स्वीकार कर उसका अनुपालन करती है? वह धार्मिक संगठनों को क्यों शाप देता है?


2. परमेश्वर केवल उस कलीसिया को आशीष क्यों देता है जो उसके कार्य को स्वीकार कर उसका अनुपालन करती है? वह धार्मिक संगठनों को क्यों शाप देता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

क्योंकि ऐसे लोग जो किसी धर्म में हैं वे परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, और वे केवल भूतकाल के पुराने कार्य को ही थामे रहते हैं, इस प्रकार परमेश्वर ने इन लोगों को छोड़ दिया है, और उन लोगों पर अपना कार्य करता है जो उसके नए कार्य को स्वीकार करते हैं।

बुधवार, 3 अक्टूबर 2018

1. मसीह के दिव्य तत्व को कोई कैसे जान सकता है?


1. मसीह के दिव्य तत्व को कोई कैसे जान सकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यीशु ने उससे कहा, 'मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ' 'ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो'" (यूहन्ना 14:6, 10-11)।

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

3. हर व्यक्ति को देहधारी मसीह और झूठे मसीहों/झूठे भविष्यद्वक्ताओं के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।


3. हर व्यक्ति को देहधारी मसीह और झूठे मसीहों/झूठे भविष्यद्वक्ताओं के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:24)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ" (यूहन्ना 14:6)।

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?


2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैयव्यवस्था 11:45)।

रविवार, 9 सितंबर 2018

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया।

मंगलवार, 28 अगस्त 2018

2. देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?


2. देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
“और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी,
जैसी पिता के एकलौते की महिमा।” (युहन्ना 1:14)।
“मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ” (युहन्ना 14:6)।

बुधवार, 15 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"
 सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जबकि मनुष्य के सोच विचारों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है, यह मनुष्य के लिए बहुत अधिक असहनीय है कि वह मसीह के सार में परिवर्तन करे। तुम लोग मसीह को अविनाशी, एक संत मानते हो, लेकिन कोई मसीह को दिव्य सार के साथ नश्वर नहीं मानता है। इसलिए, अनेक लोग जो दिन रात परमेश्वर को देखने की लालसा करते हैं वास्तव में परमेश्वर के शत्रु हैं और परमेश्वर के अननुरूप हैं।

सोमवार, 13 अगस्त 2018

"बेड़ियों को तोड़ो और भागो"(1) - बेड़ियों को तोड़ डालो और सच्चे मार्ग का अध्ययन करो



"बेड़ियों को तोड़ो और भागो"(1) - बेड़ियों को तोड़ डालो और सच्चे मार्ग का अध्ययन करो
 धार्मिक पादरियों की बातों पर आँखें मूंदकर विश्वास करने के कारण, एल्डर ली ने महसूस किया कि परमेश्वर के सभी कार्य और वचन बाइबल में दर्ज थे और बाइबल के बाहर जो कुछ भी है वे परमेश्वर के कार्य और वचन नहीं हो सकतेI ली सोचते थे कि उन्हें जो कुछ भी करना था, बाइबल पर दृढ रहकर करना था और जब प्रभु फिर से आएंगे, तो उन्हें स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जाएगाI इसलिए, ली ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर कोई ध्यान नहीं दियाI एक अवसर पर, एल्डर ली को यह पता चला कि उनका सहयोगी, एल्डर लिन एक वर्ष से ज्यादा समय से चमकती पूर्वी बिजली का अध्ययन कर रहा थाI एल्डर लिन के साथ अपनी सहभागिता के माध्यम से, एल्डर ली को यह दयनीय सत्य समझ में आया कि उन्हें धार्मिक पादरियों द्वारा फंसाया और बेड़ियों में जकड़ा गया थाI अंत में, एल्डर ली इन बेड़ियों को तोड़ने में समर्थ हुए और चमकती पूर्वी बिजली की खोज के लिए बाकी सहकर्मियों का नेतृत्व करने लगे और सब मिलकर उसका अध्ययन करने लगेI

रविवार, 5 अगस्त 2018

परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है


परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है

हालांकि अनगिनत समुद्र और पहाड़ों से जुदा हैं,
हम हैं एक लोग, हमारे बीच नहीं कोई सीमा,
भले ही विभिन्न रंग की त्वचा है, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं।
क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बुलाते हैं हमें,
परमेश्वर के सिंहासन के सामने हमें लाया गया है।

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुम्हें पता होना चाहिए कि व्यावहारिक परमेश्वर ही स्वयं परमेश्वर है"




सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुम्हें पता होना चाहिए कि व्यावहारिक परमेश्वर ही स्वयं परमेश्वर है"
 सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर द्वारा देह में प्रकट होने का अर्थ है कि परमेश्वर के आत्मा के सब कार्य और वचन उसकी सामान्य मानवीयता, और उसके देह धारण के द्वारा किये जाते हैं। अर्थात्, परमेश्वर का आत्मा उनकी मानवीयता के कार्य को निर्देशित करता है और ईश्वरीयता के कार्य को देह के साथ पूरा करता है, और देहधारी परमेश्वर में तू परमेश्वर के मानवीयता वाले कार्य और संपूर्ण ईश्वरीय कार्य दोनों को देख सकता है।

बुधवार, 25 जुलाई 2018

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (भाग आठ)



अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (भाग आठ)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "यद्यपि प्रभु यीशु पुनरूत्थित हो चुका था, फिर भी उसके हृदय और उसके कार्य ने मानव जाति को नहीं छोड़ा था। उसने अपने प्रकटीकरण से लोगों को बताया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस रूप में है, वह हर समय और हर जगह लोगों का साथ देगा, उनके साथ चलेगा, और उनके साथ रहेगा।

शनिवार, 14 जुलाई 2018

मैंने साफ तौर पर अपनी सही कद—काठी समझी

मैंने साफ तौर पर अपनी सही कद—काठी समझी

डिंग ज़ियांग तेंगज़ोउ सिटी, शैंडॉन्ग प्रदेश


एक बार मैं जिस कलीसिया में उपस्थित हुई थी, उसके अगुआओं की संगति में, कलीसिया के नव चयनित अगुआ ने कहा था: “मेरी कद-काठी पर्याप्त नहीं है। मुझे लगता है कि मैं इस कर्तव्य के निर्वहन के लिए उपयुक्‍त नहीं हूं। मैं कई चीजों से दबाव महसूस करती हूं, इस हद तक कि मैं लगातार कई दिनों और रातों तक सो भी नहीं पाई हूं।”

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है




सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "अंत के दिनों में, मसीह मनुष्य को सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार की सच्चाइयों का उपयोग करता है, मनुष्य के सार को उजागर करता है, और उसके वचनों और कर्मों का विश्लेषण करता है। इन वचनों में विभिन्न सच्चाइयों का समावेश है, जैसे कि मनुष्य का कर्तव्य, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए, हर व्यक्ति जो परमेश्वर के कार्य को मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार सामान्य मानवता से, और साथ ही परमेश्वर की बुद्धि और उसके स्वभाव इत्यादि को जीना चाहिए। ये सभी वचन मनुष्य के सार और उसके भ्रष्ट स्वभाव पर निर्देशित हैं।

मंगलवार, 19 जून 2018

सहस्राब्दि राज्य आ चुका है' के बारे में एक संक्षिप्त वार्ता


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन:"'सहस्राब्दि राज्य आ चुका है' के बारे में एक संक्षिप्त वार्ता"


     सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "सहस्राब्दि राज्य के युग के दौरान, लोग पहले से ही पूर्ण बनाए जा चुके होंगे और उनके भीतर के भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध किया जा चुका होगा। उस समय, परमेश्वर के द्वारा कहे गए वचन क़दम-दर-क़दम लोगों का मार्गदर्शन करेंगे, और सृजन के समय से लेकर आज तक परमेश्वर के कार्य के सभी रहस्यों को प्रकाशित करेंगे, और उसके वचन प्रत्येक युग और प्रत्येक दिन परमेश्वर के कार्यों के बारे में लोगों को बताएँगे, बताएँगे कि कैसे वह भीतर उनका मार्गदर्शन करता है, उस कार्य के बारे में बताएँगे जो वह आध्यात्मिक क्षेत्र में करता है, और मनुष्य को आध्यात्मिक आयाम की गतिशीलता के बारे में बताएँगे। केवल तभी यह सचमुच में वचन का युग होगा; अभी यह केवल एक सूक्ष्म जगत है।" 

सर्वशक्तिमान का आह भरना


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "सर्वशक्तिमान का आह भरना” | God's Waiting of love

    सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मनुष्य, जिन्होंने सर्वशक्तिमान के जीवन की आपूर्ति को त्याग दिया, नहीं जानते हैं आखिर वे क्यों अस्तित्व में हैं, और फिर भी मृत्यु से डरते रहते हैं। इस दुनिया में, जहां कोई सहारा नहीं है, सहायता नहीं है, वहाँ बहादुरी के साथ, बिन आत्माओं की चेतना के शरीरों में एक अशोभनीय अस्तित्व को दिखाते हुए मनुष्य, अपनी आंखों को बंद करने में, अभी भी अनिच्छुक है। तुम इनके समान जीते हो, आशाहीन; उसका अस्तित्व इसी प्रकार का, बिना किसी लक्ष्य का है।

सोमवार, 18 जून 2018

छुटकारे के युग में कार्य के पीछे की सच्ची कहानी


   मसीह के कथन "छुटकारे के युग में कार्य के पीछे की सच्ची कहानी" | Jesus' Salvation of the Cross(Hindi)


     सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "अनुग्रह के युग में, मनुष्य पहले से ही शैतान की भ्रष्टता से गुज़र चुका था, और इसलिए समस्त मानवजाति को छुटकारा देने के कार्य हेतु, अनुग्रह की भरमार, अनन्त सहनशीलता और धैर्य, और उससे भी बढ़कर, मानवजाति के पापों का प्रयाश्चित करने के लिए पर्याप्त बलिदान की आवश्यकता थी ताकि इसके प्रभाव तक पहुँचा जा सके। अनुग्रह के युग में मानवजाति ने जो देखा वह मानवजाति के पापों के प्रायश्चित के लिए मेरी भेंट मात्र था, अर्
वे केवल इतना ही जानते थे कि परमेश्वर दयावान और सहनशील हो सकता है, और उन्होंने केवल यीशु की दया और करूणामय-प्रेम को देखा था। ऐसा पूरी तरह से इसलिए था क्योंकि वे अनुग्रह के युग में रहते थे। और इसलिए, इससे पहले कि उन्हें छुटकारा दिया जा सके, उन्हें कई प्रकार के अनुग्रह का आनन्द उठाना था जो यीशु ने उन्हें प्रदान किए थे; केवल यही उनके लिए लाभदायक था।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...