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सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

3. क्यों परमेश्वर के कार्य का हर नया चरण धार्मिक दुनिया की प्रचंड अवज्ञा और निंदा का सामना करता है? इसका मूल कारण क्या है?


3. क्यों परमेश्वर के कार्य का हर नया चरण धार्मिक दुनिया की प्रचंड अवज्ञा और निंदा का सामना करता है? इसका मूल कारण क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"फिर वह दृष्‍टान्तों में उनसे बातें करने लगा: 'किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया।

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

1. परमेश्वर की कलीसिया क्या है? एक धार्मिक संगठन क्या होता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यीशु ने परमेश्‍वर के मन्दिर में जाकर उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया, और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं; और उनसे कहा, "लिखा है, 'मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा'; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो" (मत्ती 21:12-13)।
"उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, गिर गया, बड़ा बेबीलोन गिर गया है! वह दुष्‍टात्माओं का निवास, और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और हर एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गया। क्योंकि उसके व्यभिचार की भयानक मदिरा के कारण सब जातियाँ गिर गई हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है, और पृथ्वी के व्यापारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं" (प्रकाशितवाक्य 18:2-3)।

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

2. परमेश्वर द्वारा विभिन्न युगों के दौरान उपयोग में लाये गए लोगों के शब्दों, जो सत्य से मेल खाते हैं, और परमेश्वर के वचनों में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

सत्य मानव संसार से आता है, फिर भी वह सत्य जो मनुष्य के मध्य है उसे मसीह के द्वारा पहुंचाया गया है। इसका उद्गम मसीह से होता है, अर्थात्, स्वयं परमेश्वर से, और इसे मनुष्य के द्वारा अर्जित नहीं किया जा सकता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "सफलता या असफलता उस पथ पर निर्भर होती है जिस पर मनुष्य चलता है" से

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

1. बाइबल केवल व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य के दो चरणों का एक आलेख (रिकॉर्ड) है; यह परमेश्वर के कार्य की संपूर्णता का आलेख नहीं है।


संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (युहन्ना 16:12-13)।
"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:17)।
"देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है" (प्रकाशितवाक्य 5:5)।

मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

4. आज तक परमेश्वर ने कैसे मानव जाति का नेतृत्व और भरण-पोषण किया है?


4. आज तक परमेश्वर ने कैसे मानव जाति का नेतृत्व और भरण-पोषण किया है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

परमेश्वर के प्रबंधन का कार्य संसार की उत्पत्ति से प्रारम्भ हुआ था और मनुष्य उसके कार्य का मुख्य बिन्दु है। ऐसा कह सकते हैं कि परमेश्वर की सभी चीज़ों की सृष्टि, मनुष्य के लिए ही है।

रविवार, 7 अक्टूबर 2018

2. परमेश्वर के स्वभाव और सार को कोई कैसे जान सकता है?




2. परमेश्वर के स्वभाव और सार को कोई कैसे जान सकता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

लोग अकसर कहते हैं कि परमेश्वर को जानना सरल बात नहीं है। फिर भी, मैं कहता हूं कि परमेश्वर को जानना बिलकुल भी कठिन विषय नहीं है, क्योंकि वह बार बार मनुष्य को अपने कामों का गवाह बनने देता है।

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?



3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्‍वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है" (1यूहन्ना 4:2-3)।

बुधवार, 3 अक्टूबर 2018

1. मसीह के दिव्य तत्व को कोई कैसे जान सकता है?


1. मसीह के दिव्य तत्व को कोई कैसे जान सकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यीशु ने उससे कहा, 'मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ' 'ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो'" (यूहन्ना 14:6, 10-11)।

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?


2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैयव्यवस्था 11:45)।

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

2. अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु के कार्य करने के तरीके और जिस तरह राज्य के युग में सर्वशक्तिमान परमेश्वर कार्य करता है, इनके बीच क्या अंतर है?



2. अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु के कार्य करने के तरीके और जिस तरह राज्य के युग में सर्वशक्तिमान परमेश्वर कार्य करता है, इनके बीच क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

अपने पहले देहधारण के दौरान, बीमारों को चंगा करना और दुष्टात्माओं को निकालना परमेश्वर के लिए आवश्यक था क्योंकि उसका कार्य छुटकारा दिलाना था। सम्पूर्ण मानव जाति को छुटकारा दिलाने के लिए, उसे दयालु और क्षमाशील होने की आवश्यकता थी।सलीब पर चढ़ने से पहले उसने जो कार्य किया वह बीमार को चंगा करना और दुष्टात्माओं को निकालना था, जो उसके द्वारा मनुष्य के पाप और गंदगी से उद्धार के पूर्वलक्षण थे। क्योंकि यह अनुग्रह का युग था, इसलिए बीमारों को चंगा करना, उसके द्वारा संकेतों और चमत्कारों को दिखाना परमेश्वर के लिए आवश्यक था, जो उस युग में अनुग्रह के प्रतिनिधि थे; क्योंकि अनुग्रह का युग अनुग्रह प्रदान करने के आस-पास केन्द्रित था, जिसका प्रतीक शान्ति, आनन्द और भौतिक आशीष थे, जो कि सभी यीशु में लोगों के विश्वास की निशानियाँ थी। अर्थात् बीमार को चंगा करना, दुष्टात्माओं को निकालना, और अनुग्रह प्रदान करना, अनुग्रह के युग में यीशु की देह की सहज क्षमताएँ थीं, ये देह में साकार हुए पवित्रात्मा के कार्य थे।

शनिवार, 15 सितंबर 2018

5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?



5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

समय की प्रत्येक अवधि में, परमेश्वर नया कार्य आरम्भ करेगा, और प्रत्येक अवधि में, मनुष्य के बीच में एक नई शुरुआत होगी।

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

"परमेश्वर में आस्था" (2) - क्या सीसीपी और धार्मिक मंडलियों द्वारा निंदित मार्ग सही मार्ग नहीं है?



"परमेश्वर में आस्था" (2) - क्या सीसीपी और धार्मिक मंडलियों द्वारा निंदित मार्ग सही मार्ग नहीं है?

बहुत से लोग परमेश्वर के वचनों और कार्यों पर इन कृत्यों को आधारित किए बिना ही सत्य का मार्ग प्राप्त करते और खोजते हैं। इसके बजाय वे धार्मिक संसार के चलनों का पालन करते हैं और वे मानते हैं कि जिसकी चीन की साम्यवादी सरकार और धार्मिक संसार निंदा करते हैं वह सही मार्ग नहीं है – क्या यह मार्ग अपनाना सही है? बाइबल कहती है, "और सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है (1यूहन्ना 5:19)" "इस युग के लोग बुरे हैं (लूका 11:29)"। इस प्रकार देखा जा सकता है कि नास्तिक वृत्ति का राजनैतिक शासन और धार्मिक संसार निश्चित तौर पर सही मार्ग को अस्वीकार करेगा और उसकी निंदा करेगा। जब प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग में अपना कार्य किया, यहूदियों और रोम की सरकार ने उनका पुरज़ोर विरोध किया और उन्हें सज़ा दी, और अंत में प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया गया। क्या यह वस्‍तुस्थिति के तथ्‍य नहीं हैं? जब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए आते हैं, तब उन्‍हें चीन सरकार और धार्मिक संसार की घोर अवज्ञा और निंदा का सामना करना पड़ता है। यह क्या दर्शाता है? क्या हमें इस विषय में चिंतन नहीं करना चाहिए?

शनिवार, 4 अगस्त 2018

"बदलाव की घड़ी" (1) - बुदिमान कुंवारियां किस प्रकार स्वर्गारोहित होती हैं?


"बदलाव की घड़ी" (1) - बुदिमान कुंवारियां किस प्रकार स्वर्गारोहित होती हैं?

 कुछ लोग स्वर्ग के राज्य में आरोहित होने के लिए प्रभु की प्रतीक्षा करने के मामले पर पौलुस के कथन पर चलते हैं: "और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा, क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाये जाएँगे, और हम बदल जाएँगे।" (1 कुरिन्थियों 15:52)। वे मानते हैं कि हालांकि पापी प्रवृत्ति के बंधन को तोड़े बिना हम अब भी निरंतर पाप करते रहते हैं, फिर भी प्रभु अपने आने पर हमारी छवियों को उसी पल बदल कर हमें स्वर्ग के राज्य में ले आयेंगे। और ऐसे लोग भी हैं, जो परमेश्वर के वचन पर चलते हैं: “जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।" (मत्ती 7:21)।"...

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुम्हें पता होना चाहिए कि व्यावहारिक परमेश्वर ही स्वयं परमेश्वर है"




सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुम्हें पता होना चाहिए कि व्यावहारिक परमेश्वर ही स्वयं परमेश्वर है"
 सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर द्वारा देह में प्रकट होने का अर्थ है कि परमेश्वर के आत्मा के सब कार्य और वचन उसकी सामान्य मानवीयता, और उसके देह धारण के द्वारा किये जाते हैं। अर्थात्, परमेश्वर का आत्मा उनकी मानवीयता के कार्य को निर्देशित करता है और ईश्वरीयता के कार्य को देह के साथ पूरा करता है, और देहधारी परमेश्वर में तू परमेश्वर के मानवीयता वाले कार्य और संपूर्ण ईश्वरीय कार्य दोनों को देख सकता है।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...