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सोमवार, 17 जून 2019

कैसे शासन करता है हर चीज़ पर परमेश्वर



  • I
  • जिस पल रोते हुए दुनिया में आते हो तुम,
  • उस पल से अपना काम करना शुरू कर देते हो तुम।
  • उसकी योजना और विधान में, अपनी अपनाकर भूमिका,
  • ज़िंदगी के सफ़र की शुरुआत कर देते हो तुम।
  • कैसे भी हों पहले के हालात, कैसा भी हो आगे का सफ़र,
  • बच नहीं सकता स्वर्ग की व्यवस्था से कोई,
  • नहीं है किसी के काबू में तकदीर उसकी,
  • जो करता है हर चीज़ पे शासन इस काम के काबिल है वही।
  • II
  • जिस दिन से आया है इंसान वजूद में,
  • तब से लगा है परमेश्वर अविचल अपने काम में,
  • कर रहा है प्रबंधन कायनात का, दे रहा है निर्देश बदलाव को,
  • कर रहा है संचालन हर चीज़ का वो।
  • हर चीज़ की तरह, इंसान अनजाने में, ख़ामोशी से,
  • पाता है मधुरता, बारिश और शबनम का पोषण परमेश्वर से।
  • हर चीज़ की तरह, इंसान अनजाने में,
  • जीता है परमेश्वर के हाथों के आयोजन के तले।
  •  
  • थाम रखे हैं दिल और आत्मा इंसान के परमेश्वर के हाथों ने,
  • पूरी ज़िंदगी इंसान की सामने है परमेश्वर की आँखों के।
  • तुम्हें यकीन हो न हो,
  • हर चीज़ का, वो ज़िंदा हो या मुर्दा हो,
  • परमेश्वर के विचार के मुताबिक बदलेगी जगह,
  • तब्दील होगी, नई हो जाएगी, ग़ायब हो जाएगी हर चीज़।
  • इस तरह शासन करता है हर चीज़ पर परमेश्वर, हर चीज़ पर परमेश्वर।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से

  •       चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

  • अनुशंसित:मसीही गीत

बुधवार, 15 मई 2019

जो कुछ भी लोग कहते और करते हैं, वह बच नहीं सकता परमेश्वर की नज़र से



  • I
  • आस्था बहुत सुंदर है तुम लोगों की, तुम कहते हो,
  • अपना जीवन समर्पित करना कामना है तुम्हारी परमेश्वर के कार्य के लिये,
  • और जो कुछ तुम कर सकते हो करना चाहोगे उसके लिये।
  • लेकिन बदला नहीं है ज़्यादा स्वभाव तुम्हारा।
  • अहंकार के शब्द हैं जो बोले हैं तुमने,
  • मगर असलियत में जो करते हो तुम वो दयनीय है।
  • जैसे ज़बान और होंठ स्वर्ग में हों तुम्हारे,
  • लेकिन पाँव बहुत दूर धरती पर हैं तुम्हारे।
  • इस तरह शब्द, शोहरत और कर्म भयावह स्थिति में हैं तुम्हारे।
  • क्या लगता है तुम्हें, पा सकते हो अधिकार
  • प्रवेश करने का परमेश्वर के कार्य और वचनों की पावन धरती पर
  • उसके द्वारा बिना तुम्हारे तमाम शब्दों और कर्मों की परीक्षा के?
  • क्या दे सकता है धोखा कोई उसकी आँखों को?
  • कैसे बच सकते हैं नीच कर्म और तुच्छ बातें तुम्हारी उसकी नज़रों से?
  • II
  • खंडित हो चुकी है ख्याति तुम्हारी,
  • गिरता जा रहा है व्यवहार तुम्हारा, तुच्छ हैं शब्द तुम्हारे,
  • घिनौना है जीवन तुम्हारा, अधम है मानवता तुम्हारी।
  • बहुत तंग-ख़्याल हो इंसानों के प्रति तुम,
  • मोल-भाव करते हो हर छोटी बात तुम।
  • तकरार करते हो हैसियत और प्रतिष्ठा जैसी बातों पर तुम,
  • इस हद तक कि नरक के रास्ते पर जाने को तैयार हो तुम,
  • आग के दरिया में भी कूद जाओगे तुम।
  • मौजूदा शब्द और कर्म तुम्हारे काफ़ी हैं
  • परमेश्वर के लिये ये बताने को कि पापी हो तुम।
  • III
  • परमेश्वर के काम के प्रति रवैया तुम्हारा पर्याप्त है
  • उसे यह तय करने देने के लिये कि अधार्मिक हो तुम लोग।
  • तमाम स्वभाव तुम्हारे काफ़ी हैं ये बताने के लिये,
  • घृणित चीज़ों से भरे, मलिन आत्मा हो तुम लोग।
  • जो कुछ तुम लोग करते हो, प्रकट करते हो, एक मायने हो सकते हैं उसके:
  • पिया है भरपूर रक्त मैली आत्माओं का तुम लोगों ने।
  • ज़िक्र आता है जब स्वर्ग-राज्य में प्रवेश का,
  • तो प्रयास करते हो तुम लोग अपने जज़्बात को अपने तक ही रखने का।
  • क्या काफ़ी हैं परमेश्वर के राज्य तक जाने के लिये तरीके तुम्हारे?
  • क्या लगता है तुम्हें, पा सकते हो अधिकार
  • प्रवेश करने का परमेश्वर के कार्य और वचनों की पावन धरती पर
  • उसके द्वारा बिना तुम्हारे तमाम शब्दों और कर्मों की परीक्षा के?
  • क्या दे सकता है धोखा कोई उसकी आँखों को?
  • कैसे बच सकते हैं नीच कर्म और तुच्छ बातें तुम्हारी उसकी नज़रों से?
  • नज़र रखता है परमेश्वर तमाम लोगों के दिलों पर
  • क्योंकि इंसान को बनाने से बहुत पहले,
  • थाम लिया था लोगों के दिलों को अपने हाथों में उसने।
  • देख लिया था लोगों के दिलों में बहुत पहले उसने,
  • इसलिये कैसे बच सकते हैं ख़्याल इंसान के दिल में उसकी नज़रों से?
  • कैसे मिल सकता है उन्हें पर्याप्त समय बचने का उसके आत्मा की तपन से,
  • उसके आत्मा की तपन से?
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से

      चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

बुधवार, 8 मई 2019

परमेश्वर द्वारा इन लोगों के चुने जाने का महान अर्थ



  • I
  • इस धारा के व्यक्ति के रूप में,
  • तुम सबको वास्तव में ईश्वर की
  • महान योजना का, उसकी पूरी प्रबंधन योजना का,
  • उद्देश्य जानना चाहिए,
  • तथ्य जानो जो वो पहले ही पूरा कर चुका,
  • उसने क्यों लोगों के एक समूह को चुना,
  • इसके लक्ष्य और अर्थ क्या हैं,
  • और ईश्वर तुममें क्या पाना चाहता है।
  • बड़े लाल अजगर की भूमि में,
  • ईश्वर ने साधारण लोगों के एक समूह को ऊँचा उठाया है,
  • कई तरह से उनका परीक्षण लेते, पूर्ण करते हुए।
  • उसने अनगिनत वचन कहे और कार्य किए,
  • सेवा के लिए कई वस्तुएँ भेजते हुए।
  • परमेश्वर के कार्य का अर्थ महान है,
  • तुम लोग अब भी नहीं समझ सकते हो इसे पूरी तरह से।
  • II
  • परमेश्वर ने जो कार्य तुम लोगों पर किया है
  • उसे साधारण न समझो।
  • ईश्वर ने आज जो दिखाया है पर्याप्त है वो,
  • विचारने और समझने के लिए।
  • गर तुम लोग अच्छी तरह समझते हो इसे,
  • ज़्यादा गहराई से इसका अनुभव करोगे।
  • और सिर्फ़ इसी तरह से
  • अपने जीवन में प्रगति कर सकते हो।
  • बड़े लाल अजगर की भूमि में,
  • ईश्वर ने साधारण लोगों के एक समूह को ऊँचा उठाया है,
  • कई तरह से उनका परीक्षण लेते, पूर्ण करते हुए।
  • उसने अनगिनत वचन कहे और कार्य किए,
  • सेवा के लिए कई वस्तुएँ भेजते हुए।
  • परमेश्वर के कार्य का अर्थ महान है,
  • तुम लोग अब भी नहीं समझ सकते हो इसे पूरी तरह से।
  • III
  • लोग जो समझ सकते हैं
  • और कर रहे हैं अभी वो बहुत कम है।
  • ये ईश्वर के प्रयोजनों को संतुष्ट,
  • नहीं कर सकता पूरी तरह से।
  • ये मनुष्य की अपूर्णता है,
  • वो अपना कर्तव्य निभाने में विफल है।
  • यही कारण है कि जो परिणाम
  • अब तक प्राप्त होना चाहिए था
  • नहीं हो पाया है।
  •  
  • बड़े लाल अजगर की भूमि में,
  • ईश्वर ने साधारण लोगों के एक समूह को ऊँचा उठाया है,
  • कई तरह से उनका परीक्षण लेते, पूर्ण करते हुए।
  • उसने अनगिनत वचन कहे और कार्य किए,
  • सेवा के लिए कई वस्तुएँ भेजते हुए।
  • परमेश्वर के कार्य का अर्थ महान है,
  • तुम लोग अब भी नहीं समझ सकते हो इसे पूरी तरह से, पूरी तरह से।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से
 ​चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

परमेश्वर की इच्छा स्पष्ट रही है सभी के लिए




परमेश्वर की इच्छा स्पष्ट रही है सभी के लिए

मनुष्य की सृष्टि से,

परमेश्वर का अस्तित्व, उसकी इच्छा, उसका स्वरुप और स्वभाव

रहा है खुला सभी के लिए।

परमेश्वर ने कभी जान कर नहीं छुपाया अपना सार,

न अपना स्वभाव या इच्छा।

ये तो केवल मानवता है जो नहीं देती परमेश्वर के कार्यों पे,

उसकी इच्छा पर ध्यान,

और इसीलिए परमेश्वर के बारे में मनुष्य की समझ है बेहद कमजोर।

बुधवार, 10 जनवरी 2018

पूरब की ओर लाया है परमेश्वर अपनी महिमा



पूरब की ओर लाया है परमेश्वर अपनी महिमा 

इस्राएल को दी अपनी महिमा परमेश्वर ने, फिर हटा ली महिमा उसने वहां से,
ले आया इस्राएलियों को, सभी इंसानों को पूरब में।
परमेश्वर ले आया है उन्हें रोशनी की ओर
ताकि वे फिर एक हो सकें, जुड़ सकें रोशनी से,
न करनी पड़े तलाश रोशनी की।

सोमवार, 8 जनवरी 2018

Hindi Gospel Song | परमेश्वर का स्वभाव है उत्कृष्ट और भव्य | Understand the Feelings of God


Hindi Gospel Song | परमेश्वर का स्वभाव है उत्कृष्ट और भव्य | Understand the Feelings of God

परमेश्वर नाराज़ है कि, अधर्मी चीज़ें इंसान को दुख दे रही हैं,
अंधकार और बुराई का अस्तित्व है,
जैसे वे चीज़ें जो सच्चाई को नकारती हैं,
कि अच्छाई के प्रतिकूल हैं,
कि अच्छाई के प्रतिकूल हैं।
उसका रोष, बुराइयों के अंत का प्रतीक,
परमेश्वर का रोष, उसकी पवित्रता का प्रतीक है, उसकी पवित्रता का प्रतीक है।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...