परमेश्वर की इच्छा स्पष्ट रही है सभी के लिए
मनुष्य की सृष्टि से,
परमेश्वर का अस्तित्व, उसकी इच्छा, उसका स्वरुप और स्वभाव
रहा है खुला सभी के लिए।
परमेश्वर ने कभी जान कर नहीं छुपाया अपना सार,
न अपना स्वभाव या इच्छा।
ये तो केवल मानवता है जो नहीं देती परमेश्वर के कार्यों पे,
उसकी इच्छा पर ध्यान,
और इसीलिए परमेश्वर के बारे में मनुष्य की समझ है बेहद कमजोर।