सर्वशक्तिमान की आहें
I
आह....आह
सर्वशक्तिमान देखते हैं चारो ओर मानव को गहरे दुःख भोगते हुए।
वो सुनते हैं मातम उनका जो पीड़ित हैं,
देखते हैं बेहयाई उन पीड़ितों की,
करते हैं महसूस डर और लाचारी, मानवजाति की जो वंचित है मोक्ष से।
वो नकारते उनकी परवाह को, बढ़ते अपने रास्तों पर,
बचते हैं उनकी खोजती निगाहों से।
बजाय इसके वो चखते हैं कड़वापन सागर की गहराई का, दुश्मन के संग।
बजाय इसके वो चखते हैं कड़वापन सागर की गहराई का, दुश्मन के संग।