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शनिवार, 10 नवंबर 2018

परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों में से प्रत्येक के बीच सम्बन्ध।

अध्याय 3 तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाईयों के बारे में अवश्य जानना चाहिए?

4. परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों में से प्रत्येक के बीच सम्बन्ध।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यहोवा के कार्य से ले कर यीशु के कार्य तक, और यीशु के कार्य से लेकर इस वर्तमान चरण तक, ये तीन चरण परमेश्वर के प्रबंधन की पूर्ण परिसीमा को आवृत करते हैं, और यह समस्त एक ही पवित्रात्मा का कार्य है। जब से उसने दुनिया बनाई, तब से परमेश्वर हमेशा मानव जाति का प्रबंधन करता आ रहा है। वही आरंभ और अंत है, वही प्रथम और अंतिम है, और वही एक है जो युग का आरंभ करता है और वही युग का अंत करता है। कार्य के तीन चरण, विभिन्न युगों और विभिन्न स्थानों में, निश्चित रूप से एक ही पवित्रात्मा द्वारा किए जाते हैं। वे सभी जो इन तीन चरणों को पृथक करते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं। अब, तुम्हें अवश्य समझ जाना चाहिए कि प्रथम चरण से ले कर आज तक का समस्त कार्य एक परमेश्वर का कार्य, एक पवित्रात्मा का कार्य है, जिसके बारे में कोई संदेह नहीं है।

शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।

अध्याय 3 तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाईयों के बारे में अवश्य जानना चाहिए?

3. परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
इस्राएल में यहोवा के कार्य के महत्व, उद्देश्य, और कदम, पूरी पृथ्वी पर उसके कार्य को आरम्भ करने के लिए थे, जो धीरे-धीरे इस्राएल के केन्द्र से अन्य जातियों के राष्ट्रों में फैलने लगा। यही वह सिद्धांत है जिसके अनुसार वह पूरे विश्व में कार्य करता है—एक प्रतिमान स्थापना करना, और तब तक उसे फैलाना जब तक कि विश्व के सभी लोग उसके सुसमाचार को ग्रहण न कर लें। प्रथम इस्राएली नूह के वंशज थे। इन लोगों के पास मात्र यहोवा की श्वास थी, और वे जीवन की मूल आवश्यकताओं का ध्यान रख सकते थे, परन्तु वे नहीं जानते थे कि यहोवा किस प्रकार का परमेश्वर था, न ही वे मनुष्य के लिए उसकी इच्छा को जानते थे, और यह तो बिलकुल भी नहीं जानते थे कि समस्त सृष्टि के प्रभु का सम्मान कैसे करें।

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के लक्ष्य को अवश्य जानना चाहिए।

अध्याय 3 तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाईयों के बारे में अवश्य जानना चाहिए?

2. तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के लक्ष्य को अवश्य जानना चाहिए।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
कार्य के तीन चरणों का उद्देश्य समस्त मानवजाति का उद्धार है—जिसका अर्थ है शैतान के अधिकार क्षेत्र से मनुष्य का पूर्ण उद्धार। यद्यपि कार्य के इन तीन चरणों में से प्रत्येक का एक भिन्न उद्देश्य और महत्व है, किन्तु प्रत्येक मानवजाति को बचाने के कार्य का हिस्सा है, और उद्धार का एक भिन्न कार्य है जो मानवजाति की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है।
जब परमेश्वर के प्रबंधन का सम्पूर्ण कार्य समाप्ति के निकट होगा, तो परमेश्वर प्रत्येक वस्तुओं को उनके प्रकार के आधार पर श्रेणीबद्ध करेगा। मनुष्य रचयिता के हाथों से रचा गया था, और अंत में उसे मनुष्य को पूरी तरह से अपने प्रभुत्व के अधीन अवश्य लौटा देना चाहिए; कार्य के तीन चरणों का यही निष्कर्ष है।

बुधवार, 7 नवंबर 2018

मानवजाति को प्रबंधित करने का काम क्या है?

अध्याय 3 तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाईयों के बारे में अवश्य जानना चाहिए?

1. मानवजाति को प्रबंधित करने का काम क्या है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मानवजाति का प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...