- I
- ईश्वर तुमसे अनुरोध करता है कि सिद्धांत के बजाय तुम
- वास्तविक, असल और ठोस चीज़ों की बात करो।
- पढ़ो "आधुनिक कला", बनो समर्पित।
- जो वास्तविक है वो कहो और योगदान करो।
- बोलते वक़्त वास्तविकता का सामना करो।
- केवल दूसरों को ख़ुश करने या इज्ज़त पाने के लिए
- झूठी और अतिरंजित बातों में ना पड़ो।
- इसका मूल्य क्या है, क्यों करना उत्तेजित लोगों को?
- II
- ईश्वर के घर का हर कार्य में फ़ायदा करो।
- कलात्मकता से बोलो और आचरण में निष्पक्ष रहो।
- दिखाने दो विवेक को राह तुम्हारे जज़्बात को।
- समझदारी से काम करो और वास्तविक बातें करो।
- दया के बदले नफ़रत न लौटाओ।
- मेहरबानी दिखे तो न बनो एहसान-फ़रामोश।
- ढोंगी बनने की कोशिश न करो,
- वरना तुम बन सकते हो एक बुरा प्रभाव।
- III
- जब तुम खाते और पीते हो ईश्वर के वचनों को,
- उन्हें और ज़्यादा जोड़ो वास्तविकता से।
- वास्तविक चीज़ों की बात करो, घमंडी न बनो।
- बनो धैर्यवान और सहिष्णु, स्वीकारने का अभ्यास करो।
- लोगों के प्रति उदार और खुले रहो।
- बड़े दिलवाला और दयालु बनना सीखो।
- त्याग दो देह के विचारों को जब वे अच्छे न हों।
- पहुँच से परे बातों की जगह असली मार्ग की बातें करो।
- IV
- कम आनंद, अधिक योगदान करो, निस्वार्थ खुद को समर्पित करो।
- ईश्वर की इच्छा का ख़याल रखो, अंतरात्मा की सुनो।
- याद रखो कैसे ईश्वर तुम सब से चिंता के साथ बात करता है।
- अधिक प्रार्थना और सहभागिता करो।
- अव्यवस्थित न रहो, विवेक रखो, परख प्राप्त करो।
- अपने पापी हाथ को खींचो वापस, इसे इतना बढ़ने न दो,
- वरना पाओगे केवल तुम ईश्वर से अभिशाप।
- तो रहो सावधान अपने जीवन के कर्मों में।
- V
- बनो रहमदिल, न मारो दूसरों को "हथियार" से।
- बोलो जीवन के बारे में और दूसरों की मदद करो।
- करो अधिक अभ्यास और कार्य, बात और शोध कम करो।
- ईश्वर द्वारा पूर्ण और प्रेरित होने की कोशिश करो।
- काम करने के इंसानी तरीकों को दूर करो।
- तुम्हारे सतही व्यवहार और आचरण
- घृणित हैं और इन्हें हटाया जाना चाहिये।
- अपनी घिनौनी मानसिक स्थिति को ठीक करो।
- VI
- तुम्हारे दिल पर क़ब्ज़ा है लोगों का अधिक,
- ईश्वर को ये ज़्यादा दो, अनुचित न बनो।
- इस "मंदिर" पर पहला हक़ है परमेश्वर का,
- और इसलिए इस पर लोगों का क़ब्ज़ा नहीं होना चाहिए।
- कुल मिलाकर, भावनाओं से ज़्यादा धार्मिकता पर ध्यान दो।
- ज्ञान के बजाय वास्तविकता की बात करो।
- अतिरंजित बातों की जगह अभ्यास के पथ की बात करो।
- बेहतर है शांत रहना और अब से अभ्यास करना।
- "वचन देह में प्रकट होता है" से
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
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