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गुरुवार, 1 मार्च 2018

हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है?


हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है?

     परमेश्वर कहते हैं: “जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है? यह संसार किसके आदेश पर चलता है? मानवजाति को किसने रचा है? क्या वास्तव में मानवजाति प्रकृति के द्वारा ही रची गई है? क्या मानवजाति वास्तव में स्वयं के भाग्य के नियंत्रण में है?”
     
     

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