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बुधवार, 5 दिसंबर 2018

बाइबल के धर्म-शास्त्रीय ज्ञान पर भरोसा करते हुए यदि कोई परमेश्वर पर विश्वास करता है तो इसका क्या अंजाम होगा?

2. बाइबल के धर्म-शास्त्रीय ज्ञान पर भरोसा करते हुए यदि कोई परमेश्वर पर विश्वास करता है तो इसका क्या अंजाम होगा?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझ से दूर रहता है। और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।" (मत्ती 15:8-9)।
"क्योंकि शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है" (2 कुरिन्थियों 3:6)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
लोग वचनों और सिद्धांतों को जितना अधिक बोलते हैं, वे परमेश्वर से उतना ही दूर भटकते हैं, और वे मनुष्य के सार को जानने में उतना ही अधिक अक्षम हो जाते हैं, और वे उतना ही अधिक परमेश्वर की अवज्ञा करते हैं, और वे परमेश्वर की अपेक्षाओं से उतना ही दूर चले जाते हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "सोलहवें कथन की व्याख्या" से

सदोम की भ्रष्टताः मुनष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं। (उत्पत्ति 19...